आज के ही दिन 7 जुलाई 1914 को पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) के बरीसाल में उनका जन्म हुआ था. अनिल विश्वास ने इस फिल्म के लिए जो संगीत रचा, वह सीधे लोगों के दिल को छू गया.’आज हिमालय की चोटी से, फिर हमने ललकारा है’ जैसे गानों ने लोगों में देशभक्ति की भावना भर दी, और ‘धीरे धीरे आ रे बादल’ जैसी मीठी धुन ने हर दिल को छू लिया.
अशोक कुमार की ‘किस्मत’ में गानों ने रचा इतिहास.
बचपन से ही म्यूजिक में थी दिलचस्पी
ऐसे हुई करियर की शुरुआत
शुरुआत में उन्होंने कलकत्ता की कुछ फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया, लेकिन असली पहचान उन्हें ‘बॉम्बे टॉकीज’ से मिली. उन्होंने फिल्मों में सिर्फ अच्छे गाने नहीं दिए, बल्कि फिल्म म्यूजिक की दिशा ही बदल दी. ‘किस्मत’ के बाद अनिल विश्वास हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे बड़े कंजपोर्स में गिने जाने लगे. उन्होंने मुकेश, तलत महमूद, लता मंगेशकर, मीना कपूर और सुधा मल्होत्रा जैसे गायकों को पहला ब्रेक दिया और उन्हें पहचान दिलाई,
पूरे देश में छाया म्यूजिक का जादू
फिल्मों से ले लिया था संन्यास
संगीतकार के तौर पर उन्होंने 1965 में रिलीज हुई ‘छोटी छोटी बातें’ के लिए काम किया. तो उनके साथ कई सितारों की कहानियां भी जैसे खत्म होने लगीं. इस फिल्म के गाने ‘जिंदगी ख्वाब है…’ और ‘कुछ और जमाना कहता है…’ उनकी कलात्मक सोच की मिसाल हैं. फिल्म की कहानी ने लोगों के बीच कुछ खास जगह नहीं बनाई, लेकिन इसका संगीत आज भी लोगों की जुबान पर है. फिल्मों से संन्यास लेने के बाद अनिल विश्वास दिल्ली आ गए और संगीत शिक्षा में लग गए. उन्होंने आकाशवाणी और संगीत नाटक अकादमी जैसे संस्थानों के साथ मिलकर काम किया.