‘पिया ऐसो जिया में समाय गयो रे’, ‘वक्त ने किया क्या हसीं सितम’, ‘तदबीर से बिगड़ी हुई तकदीर बना दे’, और ‘ये लो मैं हारी पिया’ जैसे कई चर्चित गानों को अपनी सुरीली आवाज से सजाने वाली गीता दत्त अब हमारे बीच नहीं है। मगर, संगीत जगत में उनकी आवाज आज भी महका करती है। यह उनकी गायिकी का जादू था कि उनके गानों में संगीत की धुन, लय और सुर के साथ प्यार, दर्द और तकलीफ जैसे जज्बात भी उभरकर आते। गीता दत्त की डेर्थ एनिवर्सरी पर जानते हैं उनके बारे में….

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गीता दत्त
– फोटो : सोशल मीडिया
परिवार से विरासत में मिला संगीत का हुनर
अपने जमाने की मशहूर गायिका गीता दत्त का जन्म 23 नवंबर 1930 को फरीदपुर (अब बांग्लादेश) में हुआ। बेहद खूबसूरत और सुरीली आवाज की धनी गीता दत्त फरीदपुर (अब बांग्लादेश) के जमींदार परिवार से ताल्लुक रखती थीं। गायिका का पूरा परिवार 40 के दशक में कोलकाता आ गया था और फिर वह सब एक दिन मुंबई चले आए। गीता दत्त का संगीत से रिश्ता बचपन में ही जुड़ गया था। उनकी मां अमिय देवी एक कवयित्री थीं और उनके पिता मुकुल रॉय संगीतकार थे। इसी वजह से संगीत के साथ उनका परिचय काफी कम उम्र में हो गया था।

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दिवंगत गायिका गीता दत्त
– फोटो : सोशल मीडिया
दो लाइनें गाकर छा गईं गीता दत्त
गीता दत्त ने छोटी उम्र में ही गाना शुरू कर दिया था। लेकिन उन्हें बतौर गायिका पहला ब्रेक साल 1946 में मिला था, जब वह महज 16 साल की थीं। उन्होंने फिल्म ‘भक्त प्रह्लाद’ के एक गाने में सिर्फ दो लाइनें ही गाई थीं। इसके बाद उन्होंने फिल्म ‘दो भाई’ के गाने में अपनी आवाज दी। गीता दत्त ने अपने करियर में ‘चिन चिन चू’, ‘आंखों ही आंखों’, ‘जाने कहां मेरा जिगर गया जी’, ‘बाबू जी धीरे चलना’, ‘पिया ऐसो जिया में समाय गयो रे’, ‘वक्त ने किया क्या हसीं सितम’, ‘मुझे जान न कहो मेरी जान’, और ‘ये लो मैं हारी पिया’ जैसे तमाम हिट गाने दिए, जिन्हें आज भी चाव से सुना जाता है। गीता दत्त ने अपने करियर में एस.डी. बर्मन, ओ.पी. नैय्यर, और हेमंत कुमार जैसे बड़े संगीतकारों के साथ काम किया।

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गुरू दत्त-गीता दत्त
– फोटो : सोशल मीडिया
परिवार के खिलाफ जाकर की गुरु दत्त से शादी
निजी जिंदगी की बात करें तो गीता दत्त की पर्सनल लाइफ काफी धुंधली सी रही है। उनकी शादी जरूर मशहूर फिल्म निर्माता गुरुदत्त के साथ हुई थी, लेकिन इनकी कहानी किसी दुखद प्रेम कहानी से कम नहीं थी। गुरुदत्त से गीता दत्त की पहली मुलाकात फिल्म ‘बाजी’ के सेट पर हुई थी। गीता के हंसमुख स्वभाव पर गुरुदत्त दीवाने हो गए थे और गीता भी गुरुदत्त के निर्देशन की कायल हो गई थीं। दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा था। गीता और गुरुदत्त ने शादी का फैसला कर लिया था, लेकिन गीता के परिवार को यह रिश्ता मंजूर नहीं था। बावजूद इसके दोनों ने परिवार के विरोध को दरकिनाकर करते हुए 26 मई 1953 को साधारण तरीके से शादी कर ली। शादी के बाद गीता दत्त के तीन बच्चे तरुण दत्त, अरुण दत्त और नीना दत्त हुए।

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गुरु दत्त और गीता दत्त
– फोटो : सोशल मीडिया
हंसते-खेलते परिवार को लग गई नजर
गुरु-गीता की शादी में सबकुछ सही चल रहा था कि अचानक अफवाहों ने इनके हंसते-खेलते परिवार में ग्रहण लगा दिया। इस खूबसूरत प्रेम कहानी का दुखद अंत हुआ। रिपोर्ट्स के मुताबिक शादी के बाद गुरू दत्त ने गीता दत्त पर बंदिशें लगा दीं कि वे सिर्फ उनकी ही फिल्मों में गाएंगी। धीरे-धीरे संगीतकारों ने भी गीता दत्त से किनारा कर लिया। इस बीच गुरू दत्त के विवाहेत्तर संबंध की अफवाह ने आग का काम किया। गुरू दत्त ने वहीदा रहमान को सीआईडी फिल्म में ऑफर दिया था। इसके बाद वह गुरुदत्त की ही फिल्म प्यासा में नजर आईं। कई फिल्मों में साथ काम करने के दौरान वहीदा रहमान और गुरू दत्त के प्यार के चर्चे होने लगे। अफेयर की ऐसी खबरों से परेशान होकर गीता दत्त बच्चों के साथ अपने माता-पिता के घर चली गईं। साल 1964 में गुरुदत्त किराए के फ्लैट में मृत पाए गए थे। कथित तौर पर उन्होंने नींद की गोलियां खाकर आत्महत्या की। उधर गीता दत्त को नशे की लत लग गई, वे शराब पीने लगीं। 20 जुलाई, 1972 को लिवर की बीमारी के चलते 42 साल की उम्र में गीता दत्त भी दुनिया को अलविदा कह गईं।