मकर संक्रांति हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पर्वों में एक है और साथ ही यह नए साल का पहला पर्व भी होता है, जिसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है. बिहार और यूपी में इसे मकर संक्रांति या खिचड़ी (Khichdi) पर्व कहते हैं. पंजाब और हरियाणा में लोहड़ी पर्व, तमिलनाड़ु में पोंगल तो वहीं असम में माघ बिहू या भोगाली बिहू कहा जाता है.
मकर संक्रांति को लोग पारंपरिक उत्सव के रूप में भी मनाते हैं. इस दिन विशेष रूप से सूर्य देव की पूजा का महत्व होता है. इस दिन सूर्य धनु राशि की यात्रा समाप्त कर मकर राशि मे प्रवेश करते हैं, जोकि शनि देव की राशि है. सूर्य और शनि पिता पुत्र हैं, लेकिन फिर भी दोनों के बीच शत्रुता का संबंध है. कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य शनि देव से मिलने जाते है.
कई बार मकर संक्रांति 14 तो कई बार 15 जनवरी को भी पड़ती है. आइये जानते हैं 2026 में कब मनाया जाएगा मकर संक्रांति पर्व और स्नान-दान के लिए शुभ मुहूर्त क्या रहेगा.
2026 में कब है मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2026 Date Time)
- मकर संक्रांति का पर्व 2026 में बुधवार 14 जनवरी को मनाया जाएगा.
- पुण्यकाल मुहूर्त दोपहर 02:49 से शाम 05:45 तक रहेगा.
- महापुण्य काल मुहूर्त दोपहर 02:49 से 03:42 तक
- स्नान-दान के लिए पुण्यकाल और महापुण्यकाल मुहूर्त का शुभ माना जाता है.
मकर संक्रांति पर स्नान-दान का महत्व
स्नान-दान के लिए भी मकर संक्रांति की तिथि को उत्तम माना जाता है. इस दिन लोग पवित्र नदी में स्नान करते हैं, सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं और फिर दान-पुण्य करते हैं. इस दिन विशेष रूप से गर्म कपड़े, कंबल, गुड़, तिल, खिचड़ी आदि का दान करना चाहिए.
क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति
- मकर संक्रांति मनाने के पीछे धार्मिक, प्राकृतिक और खगोलीय महत्व जुड़े हैं. यह ऐसा हिंदू त्योहार है, जिसे फसल के मौसम की शुरुआत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है.
- वहीं खगोलीय दृष्टि से यह शीतकालीन संक्रांति के अंत और लंबे दिनों की शुरुआत का प्रतीक होता है.
- वहीं ज्योतिष की माने तो मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य मकर राशि में गोचर करते हैं और उत्तरी गोलार्ध में सूर्य की यात्रा की शुरुआत का भी प्रतीक है.
- कई जगह पर इसे पतंग महोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है. लोग घर की छतों में पतंगबाजी करते हैं.
महाभारत और पुराणों में मकर संक्रांति का उल्लेख
मकर संक्रांति पर्व से पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हैं. महाभारत और पुराणों में भी इस पर्व का वर्णन मिलता है. महाभारत में पांडवों द्वारा मकर संक्रांति मनाने का उल्लेख मिलता है. वहीं इस पर्व का श्रेय वैदित ऋषि विश्वामित्र को भी दिया जाता है.
पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत काल में जब भीष्म पितामह अर्जुन के बाणों से घायल हो गए थे, तब भी उन्होंने मृत्यु को नहीं चुना बल्कि कई दिनों तक बाणों की शैय्या पर लेटे रहे और अपनी मृत्यु के लिए सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार करते रहे.
यह भी कहा जाता है कि, मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सगर में जा मिली थीं.
FAQs
Q. मकर संक्रांति में सूर्य का गोचर किस राशि में होता है?
A. मकर संक्रांति पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसे मकर संक्राति कहा जाता है.
Q, मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व क्यो कहते हैं?
A. क्योंकि इस दिन तिल. चावल और दान से खिचड़ी बनाने का महत्व है.
Q. मकर संक्रांति पर स्नान करने से क्या होता है?
A. मान्यता है कि मकर संक्रांति पर पवित्र नदी में स्नान करने से पापों का नाश होता है.
ये भी पढ़ें: Sawan Last Somwar Vrat: सावन के सभी सोमवारों में आखिरी सोमवार क्यों माना जाता है सबसे फलदायी?
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.