लखनऊ/एबीएन न्यूज। मंडल रेल प्रबंधक श्री गौरव अग्रवाल के मार्गदर्शन और वरिष्ठ मंडल यांत्रिक इंजीनियर/ईएनएचएम (फ्रेट व डीएम) श्री महेंद्र सिंह के नेतृत्व में पूर्वाेत्तर रेलवे का गोंडा आर.ओ.एच. (रूटीन ओवरहालिंग) डिपो रेलवे वैगनों की विश्वसनीयता और परिचालन सुरक्षा को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है। अत्याधुनिक सुविधाओं और विशेषज्ञता से लैस यह डिपो न केवल वैगनों के अनुरक्षण का प्रमुख केंद्र है, बल्कि प्रीमियम रेक परीक्षण और आर.ओ.एच. दोनों में अपनी विशेष पहचान रखता है।
आर.ओ.एच. एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो प्रत्येक पी.ओ.एच. (पीरियॉडिक ओवरहालिंग) या निर्माण के दो वर्ष बाद की जाती है। इसमें वैगनों के व्हील-एक्सल, सी.टी.आर.बी., एयर ब्रेक सिस्टम और कप्लर जैसे अहम हिस्सों की गहन मरम्मत और परीक्षण होता है। इससे न केवल परिचालन में संभावित विफलताओं की रोकथाम होती है बल्कि सुरक्षा और दक्षता भी बढ़ती है। गोंडा डिपो में बी.सी.एन., बी.आर.एन. और बी.वी.सी.एम. प्रकार के वैगनों का नियमित अनुरक्षण किया जाता है।
गौरवशाली उपलब्धियाँ
गोंडा आर.ओ.एच. डिपो ने स्थापना से अब तक कई कीर्तिमान स्थापित किए हैंः
1984: पहली बार रेक परीक्षण की शुरुआत
मई 2006: प्रीमियम रेक परीक्षण की शुरुआत
फरवरी 2019: 10 वैगनों प्रति माह के लक्ष्य के साथ आर.ओ.एच. डिपो का शुभारंभ
मार्च 2019: पहले वैगन का आर.ओ.एच. कार्य पूर्ण
मार्च 2021: 47 वैगनों का आर.ओ.एच. संपन्न
मार्च 2022: 103 वैगनों का आर.ओ.एच. पूरा
मार्च 2025: 154 वैगनों का आर.ओ.एच. कार्य संपन्न
अगस्त 2025: अब तक का सर्वाधिक 169 वैगनों का आर.ओ.एच., जो डिपो की कार्यक्षमता और समर्पण का प्रतीक है

गोंडा डिपो पूर्वाेत्तर रेलवे का एकमात्र ऐसा केंद्र है जहाँ प्रीमियम रेक परीक्षण और आर.ओ.एच. दोनों कार्य किए जाते हैं। आधुनिक तकनीक और समर्पित टीम की बदौलत यह डिपो वैगनों की गुणवत्ता व परिचालन दक्षता का भरोसेमंद केंद्र बन चुका है। गोंडा आर.ओ.एच. डिपो अपने वर्तमान उपलब्धियों पर गर्व करते हुए भविष्य में और अधिक वैगनों के अनुरक्षण व परीक्षण की क्षमता बढ़ाने की योजना बना रहा है। इसका उद्देश्य रेलवे परिचालन को और अधिक सुरक्षित, विश्वसनीय और कुशल बनाना है।