पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनल पार्टी (बीएनपी) ने शनिवार को चेतावनी दी कि भीड़ हिंसा बांग्लादेश की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक बन गई है। बीएनपी ने यह भी कहा कि पिछले साल हुए राजनीतिक बदलाव के बाद दक्षिणपंथी ताकतों का उभार भी देश के लिए चिंता का विषय है।
बीएनपी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने एक साक्षात्कार में कहा कि अगर भीड़ हिंसा को नहीं रोका गया तो यह देश के लिए बेहद हानिकारक होगा। उन्होंने कहा, ‘कुछ समूह और व्यक्ति खुलेआम कह रहे हैं कि जो लोग शरिया के खिलाफ कुछ भी कहते हैं, उन्हें बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और महिलाओं पर नियंत्रण रखा जाएगा।’
पांच अगस्त 2024 के बाद और मजबूत हुईं ऐसी ताकतें
आलमगीर ने आगे कहा कि इन तत्वों का उदय ‘उस समावेशी, उदार लोकतांत्रिक समाज के खिलाफ है, जिसका हम निर्माण करना चाहते हैं।’ उन्होंने कहा कि ये ताकतें पहले भी मौजूद थीं, लेकिन पांच अगस्त 2024 के बाद से और मजबूत हो गई हैं। ऐसी ताकतों की गतिविधियां और प्रचार ज्यादा दिखाई देने लगे हैं।
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अंतरिम सरकार ने आवामी लीग की गतिविधियों पर लगाई है रोक
दरअसल, बांग्लादेश में अब मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार सत्ता में है। यह सरकार छात्रों द्वारा चलाए गए एक बड़े आंदोलन के बाद बनी। इस सरकार ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग की गतिविधियों पर तब तक के लिए रोक लगा दी है, जब तक कि हसीना समेत उसके नेताओं पर ‘मानवता के खिलाफ अपराधों’ के आरोपों में मुकदमा नहीं चलाया जाता। हसीना, जिन्हें 5 अगस्त 2024 को एक सड़क आंदोलन में सत्ता से हटाया गया था, पर कई आरोपों में उनकी अनुपस्थिति में बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में मुकदमा चलाया जा रहा है।
अंतरिम सरकार ने मीडिया संस्थानों को दी थी कार्रवाई की चेतावनी
पिछले महीने, अंतरिम सरकार ने मीडिया संस्थानों को चेतावनी दी थी कि अगर वे हसीना के बयान प्रसारित या प्रकाशित करेंगे तो उनके खिलाफ तुरंत कानूनी कार्रवाई होगी। आवामी लीग के निष्क्रिय होने के बाद बीएनपी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनकर उभरी है। बीएनपी को एक मध्य-दक्षिणपंथी राजनीतिक संगठन माना जाता है। इसका नेतृत्व लंदन में रह रहे खालिदा जिया के बेटे और कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान कर रहे हैं, जबकि उनकी 80 वर्षीय मां ढाका में रहती हैं।
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उदार राजनीति की जगह अतिवाद लाने की चल रही साजिश: आलमगीर
आलमगीर ने हाल के दिनों में आशंका जताई कि उदार राजनीति की जगह अतिवाद लाने की एक साजिश चल रही है। उनकी यह टिप्पणी उस समय आई जब बांग्लादेश में दो भयानक घटनाएं हुईं- एक उग्र भीड़ ने एक सूफी दरवेश नूरा पागला की कब्र से शव निकालकर जला दिया और उसके मजार को तोड़फोड़ कर दिया। वहीं, दूसरे समूह ने हसीना की सहयोगी पार्टी जातीया पार्टी के केंद्रीय दफ्तर में आग लगा दी।