खराब मौसम, बारिश, बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाओं के कारण देश के कई राज्य प्रभावित हुए हैं। जम्मू-कश्मीर में अब तक 123 लोगों की जान जा चुकी है। हरियाणा में 24 से अधिक मौतों के अलावा कई एकड़ में खड़ी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। पहाड़ी राज्य हिमाचल में बीते ढाई माह में 360 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। सरकारी आंकड़े के मुताबिक 3900 करोड़+ का नुकसान हुआ है। उत्तराखंड में भी हर तरफ तबाही का मंजर है। राज्य सरकार ने नुकसान के मुआवजे के तौर पर केंद्र सरकार से 5700 करोड़ का राहत पैकेज मांगा है। पंजाब की नदियों में उफान के बाद 1500 गांव बाढ़ की चपेट में हैं।
पहाड़ी राज्यों का हाल
उत्तराखंड महीने भर से आपदाओं से जूझ रहा है। ग्लेशियर टूटकर गिर रहे हैं। अचानक बादल फट रहे हैं। नदियां पूरे वेग से उफान पर हैं। लगातार बन रहीं अस्थायी झीलों ने बड़ी आबादी, सरकार और वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है। नए भूस्खलन क्षेत्र बनने से जगह-जगह पहाड़ दरक रहे हैं। जमीन और मकानों में गहरी दरारें पड़ गई हैं। इस वर्ष राज्य को 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद सबसे बड़ी आर्थिक क्षति उठानी पड़ी है। राज्य की आर्थिकी चारधाम यात्रा से भी जुड़ी है, मगर सीजन में 55 दिन यात्रा नहीं हो सकी। राज्य सरकार ने हालात से उबरने के लिए केंद्र से 5,702 करोड़ की विशेष सहायता मांगी है। राज्य के 13 जिलों में से दस किसी न किसी रूप में आपदा की चपेट में हैं। एक अप्रैल से 31 अगस्त तक 79 लोग जान गंवा चुके हैं।
हिमाचल में ढाई माह में 360 की मौत, 3979 करोड़ का नुकसान
देश का एक और पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश ढाई महीनों से प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। बादल फटने, भारी बारिश, बाढ़ व भूस्खलन के कारण जून माह के आखिरी सप्ताह से लेकर अब तक 360 लोगों की मौत हो चुकी है। 47 लोग लापता हैं। इस मानसून सत्र में सैकड़ों घर जमींदोज हो गए। 5,162 घर क्षतिग्रस्त हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक 3,979 करोड़ का नुकसान हो चुका है। प्रदेश के सभी जिले आपदा का दंश झेल रहे हैं, लेकिन कुल्लू, मंडी, चंबा, शिमला व कांगड़ा सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। ढाई माह के दौरान ही प्रदेश में 50 से ज्यादा स्थानों पर बादल फटे हैं, जबकि बाढ़ की 96 और भारी भूस्खलन की 133 घटनाएं हो चुकी हैं।