Doomsday: इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, अल्लाह किसी एक निश्चित दिन सभी इंसानों और जिन्नों को जिंदा करेगा, लेकिन उस दिन का रूप कयामत के रूप में होता है. कुरान में बताया गया है कि अल्लाह ही हर चीज को फिर से जिंदा करेगा, यह वहीं दिन है जब पूरी दुनिया का अंत होगा. इस दिन सभी इंसानों को अपने कर्मों के हिसाब देने के लिए अल्लाह के सामने खड़ा किया जाएगा. उनके कर्मों के आधार पर उन्हें जन्नत या जहन्नुम में भेजा जाएगा.
कयामत क्या हैं?
कयामत का अर्थ प्रलय या पृथ्वी का अंत और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह उस दिन को कहते हैं जब दुनिया का अंत होगा और सभी इंसानों को अपने कर्मों के हिसाब देने होंगे. यह इस्लाम धर्म की एक मुख्य अवधारणा है, जिसे यौम अल-क्रियामा या यौम अद-दीन भी कहा जाता है.
कयामत के दिन क्या होगा ?
कयामत के दिन, जिसे इस्लामी परंपरा में न्याय का दिन भी कहा जाता है, दुनिया का अंत हो जाएगा और सभी इंसानों को फिर से जिंदा किया जाएगा ताकि अल्लाह उनके कर्मों का हिसाब ले और उनके कर्मों के अनुसार जन्नत या जहन्नुम में भेज सकें. इस दिन सूर्य और चांद अपनी जगह से हट जाएंगे और एक भयानक घटना होगी, जिसके बाद हर व्यक्ति को कर्मों की सजा भुगतने होंगे.
दुनिया का अंत
कयामत का दिन दुनिया के खात्मे और पुनरुत्थान का दिन है.
फिर से जिंदा होना
सभी मरे हुए लोगों को फिर से जीवित किया जाएगा और मैदान हश्र में इकट्ठा किया जाएगा.
अल्लाह का न्याय
हर व्यक्ति को अपने अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब देना होगा और अल्लाह उनके कर्मों के हिसाब से फैसला सुनाएंगे.
जन्नत और जहन्नुम का फैसला
कयामत के दिन नेक कर्म करने वालों को जन्नत में और बुरे कर्म करने वालों जहन्नुम में भेजा जाएगा.
खौफनाक मंजर
यह ऐसा भयानक दिन होगा, जब हर कोई अपने लिए फिक्र करेगा और कोई किसी का मददगार नहीं होगा.
कयामत कब आएगी ?
कयामत कब आएगी, इसकी सटीक तारीख किसी को नहीं पता है, क्योंकि यह जानकारी सिर्फ अल्लाह के पास है. कुरान और हदीस के अनुसार, कयामत अचानक आएगी. कुछ वैज्ञानिक कयामत की अनुमानित तारीखें बताती है, लेकिन यह वैज्ञानिक प्रणिमाों पर आधारित नहीं है. इस्लाम में कयामत के आने से पहले कुछ निशानियों के बारे में जिक्र तो किया गया है, लेकिन कयामत कब आएगी इसकी सटीक तारीख किसी को मालूम नहीं है.
कयामत आने से पहले की निशानी
इस्लाम के अनुसार, कयामत से पहले की निशानियों में शामिल है. झूठा मसीहा (दज्जाल ) का आना, आसमान में धुआ छा जाना, तरह-तरह के गुनाह और बुराईयों का समाज में बढ़ना. लोगों को अपनी औलाद का नाफरमान होना, झूठी गवाही देना और जकात अदा करने से बचना भी कयामत के निशानियों में से एक है.
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