Surya ko Jal dene Ka Sahi Niyam: करोड़ों हिंदू प्रतिदिन सूर्य देवता को जल अर्पित करते हैं, किंतु 1 प्रतिशत लोगों को ही सूर्य को जल चढ़ाने का वो नियम पता है, जिससे बुरे दिन खत्म होते हैं और जीवन में अच्छे दिन और सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं.
सूर्य को जल चढ़ाने का सही नियम जानने के बाद ये आपकी किस्मत बदलने का सीक्रेट कोड भी है, जिसके बारे में जानकार आपके भी होश उड़ जाएंगे. आइए जानते हैं सूर्य को जल अर्पित करने के वो नियम जिसके बारे में कम लोगों को ही पता है.
सूर्य को जल अर्पित करने के नियम-
सूर्य को जल अर्पित करने के लिए हमेशा तांबे के लोटे का ही इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि तांबे का धातु सूर्य की ऊर्जा आप तक आसानी से पहुंचती है.
सूर्य को जल चढ़ाने का समय फिक्स है, इसलिए प्रतिदिन 9 बजे से पहले ही उन्हें जल अर्पण करें. ऐसा इसलिए क्योंकि तब सूर्य की किरणें प्योर और गुणकारी होती है.
तांबे के कलश में जल के अलावा अक्षत, रोली और लाल फूल जरूर डालें. ये चीजें सूर्य की तरंगों को आप तक आसानी से पहुंचाती है.
सूर्य को जल देते वक्त आपका मुख पूर्व दिशा की तरफ ही होना चाहिए. इस दिशा में जल चढ़ाते समय ऊं सूर्याय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए.
सूर्य को जल चढ़ाते समय जल जहां पर गिरता है, वह से जल को स्पर्श करके अपने माथे पर जरूर लगाएं. ऐसा करने से आपके अंदर की नेगेटिविटी दूर होगी.
इन उपायों को करने से आपकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आने के साथ जीवन में हमेशा सफलता प्राप्त होती है.
सूर्य को जल अर्पण करने से तीन चीजें जागृत होती हैं
दरअसल जब हम सूर्य को जल चढ़ाते हैं, तो उस वक्त हमारे शरीर में तीन चीजें जागृत होती हैं. पहली सप्तधातु, दूसरी पिंगला नाड़ी और तीसरी तप्त ताम्र प्रभाव.
- सप्तधातु (शरीर के 7 धातुएं)- इसका मतलब शरीर को रोगों से मुक्ति मिलती है.
- पिंगला नाड़ी- सूर्य को जल देने से आपका आत्मविश्वास और एक्शन लेने की ऊर्जा में वृ्द्धि होती है.
- तप्त ताम्र प्रभाव- ये नेगेटिविटी को अपने अंदर समाहित करके सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है. और यह सब होता है एक लोटा सूर्य को जल देने से, ये कोई रिवाज नहीं, बल्कि आपकी दिनचर्या है.
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