तालिबान सरकार के रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब ने दोहा से एक ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अफगानिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन या उसकी सुरक्षा में किसी भी तरह की दखल की अनुमति नहीं दी जाएगी. उन्होंने बताया कि डूरंड रेखा से जुड़ा मुद्दा समझौते में शामिल नहीं है, क्योंकि यह ऐसा विषय है जो सीधे अफगान जनता से जुड़ा हुआ है.
आगामी बातचीत में समझौते की रूपरेखा पर होगा फोकस
मुल्ला याकूब ने बताया कि तुर्की में होने वाले अगले दौर की वार्ताओं में मौजूदा समझौते के क्रियान्वयन के तंत्र पर चर्चा होगी. जब उनसे पाकिस्तान की ओर से संभावित हमलों या समझौते के उल्लंघन पर गारंटी के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने दो अन्य देशों के सामने अपनी प्रतिबद्धता जताई है. अगर पाकिस्तान किसी तरह की आक्रामक कार्रवाई करता है, तो अफगानिस्तान पूरी तरह तैयार है जवाब देने के लिए.
व्यापार बहाली और शरणार्थियों पर भी हुई चर्चा
मुल्ला याकूब ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार को सामान्य स्थिति में लौटाने पर सहमति बनी है. उन्होंने जोर देकर कहा कि अफगानिस्तान एक स्वतंत्र देश है और वह पाकिस्तान समेत सभी देशों से अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर अच्छे संबंध रखना चाहता है. शरणार्थियों के मुद्दे पर उन्होंने बताया कि अफगान शरणार्थियों के साथ मानवीय व्यवहार की मांग को लेकर भी चर्चा की गई है.
अफगान सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने बताया कि पाकिस्तान ने सीजफायर बढ़ाए जाने के कुछ घंटे बाद अफगानिस्तान में हवाई हमले किए. ये हमले शुक्रवार को हुए, जब बुधवार से लागू संघर्ष विराम को दोहा में जारी शांति वार्ता के दौरान तक के लिए बढ़ा दिया गया था. मुजाहिद ने कहा कि इन हमलों में नागरिकों को निशाना बनाया गया और काबुल को जवाब देने का अधिकार है. हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि वार्ता टीम के सम्मान में अफगान लड़ाकों को फिलहाल पलटवार न करने का निर्देश दिया गया है.
सीमा संघर्ष के बीच समाधान तलाश रहे दोनों देश
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हालिया झड़पों में दर्जनों लोगों की मौत और सैकड़ों घायल हुए हैं. दोनों देशों के बीच बातचीत पाकिस्तान के असिफ और अफगान रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब की अगुवाई में हुई. जमीनी लड़ाई और पाकिस्तान की हवाई कार्रवाई दोनों देशों की 2,600 किमी लंबी विवादित सीमा पर हुई. पाकिस्तान का कहना है कि अफगानिस्तान में मौजूद उग्रवादी गुटों ने हाल ही में पाकिस्तान में हमले तेज किए हैं, और काबुल को उन्हें रोकना चाहिए.










