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– फोटो : अमर उजाला
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मथुरा के छाता तहसील के गांव शाहपुर में श्री बिहारी जी मंदिर की जमीन को कब्रिस्तान से हटाकर अभिलेखों में मंदिर के नाम पर दर्ज कराने और मंदिर तोड़कर मजार बनाने के आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका को एडीजे चतुर्थ डाॅ. पल्लवी अग्रवाल की कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता एडीजीसी हेमेंद्र भारद्वाज ने बताया कि शाहपुर के तत्कालीन प्रधान ने रामवीर ने 2 सितंबर 2004 में पंचायत में एक प्रस्ताव कब्रिस्तान के लिए पारित किया था। कब्रिस्तान का खसरा नंबर 108/4 व 108/5 प्रस्ताव किया गया। इसमें भूमि का रकबा दर्ज नहीं किया गया। लेखपाल, राजस्व निरीक्षक आदि ने षड्यंत्र करके 108 को 181 कर दिया। यह नंबर आबादी का था। इस नंबर में मंदिर बिहारी जी दर्ज है। पुजारी न होने के कारण मंदिर खंडहर हो गया था। बिहारी जी के मंदिर और वहां बने कुएं को जेसीबी से तोड़ दिया गया था।
15 मार्च 2020 की रात गैर संप्रदाय के 20 से 30 लोग हथियारों से लैस होकर मंदिर में घुस गए और बिहारी जी के सिंघासन को तोड़ दिया। इस स्थान पर मजार बना कर उसके चारों और खंबे लगा दिए। उस वक्त किसी ने इसका डर के कारण विरोध नहीं किया था। गांव के सुरेश इसके गवाह थे। सुबह होने पर मंदिर से जुड़े समाज के लोगों को इस बारे में जानकारी हुई तो गांव के राम अवतार ने थाना कोसीकलां में इस मामले में मुकदमा दर्ज कराया।
मुकदमे में ग्राम प्रधान रामवीर सहित उप प्रधान खुर्शीद, भोला खां सहित अन्य को नामजद किया गया। पुलिस ने इस मामले में प्रधान सहित अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर कर दी है। प्रधान रामवीर ने इस मामले में अपनी अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट में आवेदन दिया था।एडीजीसी के अनुसार अर्जी को खारिज कर दिया गया है।