अदालत(सांकेतिक)
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य सरकार की सुविधा के अनुसार कानून काम नहीं करता है। कोर्ट ने कहा कि यदि याची का वेतन बकाया है तो इसका भुगतान किया जाना चाहिए, वित्तीय स्थिति चाहे जो भी हो। न्यायालय व कानून का इससे कोई मतलब नहीं है। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की कोर्ट ने यह आदेश श्रीमती संतोष कुमारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
मामले में अलीगढ़ निवासी याची संतोष कुमारी ने सेवानिवृत्ति के बाद बकाया वेतन 22 लाख 69 हजार 144 रुपये का भुगतान किए जाने की मांग करते हुए कोर्ट से गुहार लगाई थी। मामले में न्यायालय ने अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा लखनऊ उत्तर प्रदेश से जवाब मांगा था। इस पर दाखिल किए गए हलफनामे में कहा गया कि यह मामला याचिकाकर्ता के साथ नियुक्त नौ अन्य शिक्षकों के बकाया वेतन से संबंधित है। इस मामले में भुगतान से राज्य के खजाने पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा।
इस जवाब पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कानून पार्टियों या राज्य सरकार की सुविधा के अनुसार काम नहीं करता है। अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने 30 अप्रैल 2024 के आदेश के पालन के लिए 10 दिन का समय दिया। साथ ही कहा कि अब और समय नहीं दिया जाएगा। न्यायालय ने 23 मई को सुनवाई के लिए नई तिथि निर्धारित की।