अजित पवार-एकनाथ शिंदे।
– फोटो : ANI
विस्तार
लोकसभा चुनाव से सबक लेकर महाराष्ट्र भाजपा अब विधानसभा चुनाव को लेकर सतर्क हो गई है। शुक्रवार को मुंबई भाजपा कार्यालय वसंत स्मृति में पार्टी ने लोकसभा चुनाव पर मैराथन मंथन बैठक की। बैठक में संकेत मिल रहे हैं कि विधानसभा चुनाव में भाजपा अजीत पवार की एनसीपी से नाता तोड़ सकती है और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव का सामना करेगी। भाजपा ने प्रदेश में अकेले दम पर 157 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है।
महाराष्ट्र में अक्तूबर में होंगे विधानसभा चुनाव
महाराष्ट्र में अक्तूबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसके सूत्रों ने बताया, पार्टी की मंथन बैठक में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 125 सीटों पर बढ़त बनाई है, जबकि 25 से अधिक विधानसभा में कड़े मुकाबले में हम बहुत कम मतों के अंतर से पीछे रह गए हैं। इन सीटों पर नई रणनीति के तहत आगे बढ़ा जाएगा तो 157 सीटों पर आसानी से जीत दर्ज की जा सकती है। महाराष्ट्र में विधानसभा की कुल 288 सीटें हैं। इससे माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा सहयोगी पार्टी शिवसेना के साथ गठबंधन में 150 से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।
महाराष्ट्र में कांग्रेस ने किया अच्छा प्रदर्शन
महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की है कि जिस तरीके से INDIA गठबंधन में उद्धव की सेना को ज्यादा सीटें देने के बाद भी उस तरह के परिणाम नहीं आए, उस पर घटक दलों के बीच अंदरूनी चर्चाएं हो रही हैं। सियासी जानकार बताते हैं कि कहा यह तक जा रहा है कि कम सीटों के बाद भी कांग्रेस ने जिस तरीके का प्रदर्शन महाराष्ट्र में किया है, वह सबसे बेहतर है। ऐसे में गठबंधन के घटक दलों को कांग्रेस के साथ मिल बैठकर आगे की सियासत पर बात करनी चाहिए। हालांकि यह बात INDIA गठबंधन से पहले ही कही जा चुकी है कि जो गठबंधन हुआ था वह लोकसभा के चुनावों के मद्देनजर ही था। ऐसे में अगर घटक दलों के बीच का कोई भी राजनीतिक दल अपने प्रत्याशी उतरता आगे कोई भी चुनाव में उतारता है, तो वह अब ऐसा करने में स्वतंत्र है।
हालिया लोकसभा चुनावों में भाजपा नहीं दोहरा पाई पिछले चुनाव का प्रदर्शन
राज्य में 2019 के चुनाव में 23 सीटे जीतने वाली भाजपा हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में नौ सीटों पर सिमट गई है। वहीं पिछले चुनाव में एक सीट जीतने वाली कांग्रेस इस बार 13 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। इन चुनाव नतीजों से एक बात साफ हुई है कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी को लोगों की सहानुभूति मिली है।