मणिपुर के सीएम एन. बीरेन सिंह
– फोटो : ANI
विस्तार
मणिपुर में पिछले कुछ दिनों से इस बात की सुगबुगाहट तेज हो गई है कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन होने वाला है। भाजपा और उसके सहयोगी नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ), नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और जेडीयू के विधायकों का एक वर्ग मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को पद छोड़ने के लिए दबाव बना रहा है। इस संभावित नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट के बीच मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने भी यह स्वीकार किया है कि उनकी पार्टी और सहयोगियों के कुछ विधायक दिल्ली में हैं। हालांकि, सीएम ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया कि विधायकों के दिल्ली दौरे से उनके इस्तीफे का कोई लेना-देना है।
बीरेन सिंह ने 2017 में मणिपुर के मुख्यमंत्री का पदभार संभाला था। सूत्रों की मानें तो उनके पद संभालने के बाद से सहयोगियों ने भाजपा नेतृत्व को मनाने का कई बार प्रयास किया, जिससे कि वह मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हो सकें। वहीं, पिछले तीन मई को जातीय हिंसा भड़कने के बाद इसमें तेजी आई। हालांकि, नतीजा फिर भी सिफर रहा। हालांकि, इस बार भाजपा को मणिपुर में दोनों लोकसभा सीटें कांग्रेस से हारने के बाद चुनावी कीमत चुकानी पड़ी है, इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस बार बात कुछ अलग होने वाली है।
पिछली रात सहयोगियों के साथ बैठक में पीएम को ज्ञापन सौंपने का लिया निर्णय: सीएम
नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट के बीच शुक्रवार को मुख्यमंत्री बीरेन सिंह पत्रकारों से रूबरू हुए। उन्होंने कहा कि पिछली रात उनकी एनडीए सहयोगियों के साथ बैठक हुई थी। इस दौरान यह निर्णय लिया गया कि मणिपुर में स्थायी शांति के लिए एक ज्ञापन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा जाएगा। बता दें कि एनडीए सहयोगियों के पास राज्य की 60 विधानसभा सीटों में से 53 सीटें हैं। वहीं, अकेले भाजपा के पास 37 सीटें हैं।