लोकसभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव।
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सपा और कांग्रेस के रिश्ते आगे कितना मजबूत रहेंगे, यह तो भविष्य बताएगा, लेकिन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी की ओर से उछाले गए दोनों दलों के सियासी रिश्तों के भविष्य के मुद्दे ने सपा के भीतर हलचल जरूर पैदा कर दी है। भाजपा के इस पैंतरे पर सपा व कांग्रेस में बड़े स्तर पर भले ही कोई चर्चा न दिख रही हो, लेकिन अंदरखाने इस दोस्ती के नफा-नुकसान का आकलन लगातार चल रहा है।
भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने यूं ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को सावधान करने का दांव नहीं चला है। यूपी की राजनीति के जानकार अच्छी तरह से जानते हैं कि कांग्रेस के पतन पर ही सपा व अन्य क्षेत्रीय दलों की इमारत खड़ी हुई थी। सपा में अब मुस्लिम वोट बैंक पर कांग्रेस की नजर की चर्चा आम है। पार्टी के दिग्गज भविष्य में इसके नुकसान के लिए आगाह भी कर रहे हैं।
सांविधानिक पद पर रहे सपा के एक नेता कहते हैं कि विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस का साथ लेना या इस चुनाव में यहां कांग्रेस का पैर जमाना दूरगामी राजनीति के लिहाज से सपा के लिए नुकसानदायी हो सकता है। यही वजह है कि सपा हरियाणा व महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों के चुनाव में इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस से सीटें मांग रही है। अगर बात मानी जाती है तो ठीक, वरना कांग्रेस का विपरीत रुख राज्य विधानसभा चुनाव में सपा को अलग राह पकड़ने का अवसर देगा।
लखनऊ विवि में राजनीति शास्त्र के प्रो. संजय गुप्ता कहते हैं कि कांग्रेस का यूपी में कोई वोटबैंक नहीं बचा है। जाहिर है यहां कांग्रेस जो भी हासिल करेगी, वो भाजपा विरोधी सहयोगी दलों का ही हिस्सा होगा। इसका सीधा फायदा कांग्रेस को मिलेगा। बता दें, पिछले साल हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने सपा के दावे को नहीं माना था। तब अखिलेश यादव ने सार्वजनिक मंच से कहा था कि कांग्रेस और भाजपा में कोई अंतर नहीं है।
भूपेंद्र के दांव पर अखिलेश का पलटवार
भूपेंद्र चौधरी ने सपा के अंदर चल रही इसी कशमकश को हवा देते हुए कहा कि कांग्रेस की नजर सपा के मुस्लिम वोट बैंक पर पड़ गई है। उन्होंने अखिलेश यादव का नाम लेते हुए कहा कि आपको (अखिलेश) सावधान कर रहा हूं कि कांग्रेस भस्मासुर है। भाजपा का यह दांव सामने आते ही सपा अध्यक्ष अखिलेश ने भी तत्काल सार्वजनिक जवाब देना ठीक समझा। उन्होंने आजादी के आंदोलन में भाजपा (संघ परिवार) पर अपनों को धोखा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके मुंह से किसी के संबंधों के भविष्य के बारे में बातें अच्छी नहीं लगतीं।