गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल
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बुखार और फ्लू जैसे लक्षण देने वाले चांदीपुरा वायरस की चपेट में आने से गुजरात में बीते पांच दिनों में छह बच्चों ने जान गंवाई है। राज्यभर में इस बीमारी की चपेट में आने वाले बच्चों की कुल संख्या सोमवार को 12 हो गई। चांदीपुरा वायरस बुखार का कारण बनता है, जिसके लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इससे तीव्र एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) भी होती है। यह रोगजनक रैबडोविरिडे परिवार के वेसिकुलोवायरस जीनस का सदस्य है। यह मच्छरों, टिक्स और रेत में होने वाली मक्खियों से फैलता है। 1965 में महाराष्ट्र में पहला मामला दर्ज किया गया था। गुजरात में हर साल इस वायरस के मामले दर्ज होते हैं। भारत के अलावा एशिया व अफ्रीका के कुछ अन्य देशों में भी यह वायरस पाया जाता है।
गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने सोमवार को बताया कि इन 12 मरीजों में से चार साबरकांठा, तीन अरावली और एक-एक महिसागर और खेड़ा जिले से हैं। दो मरीज राजस्थान और एक मध्य प्रदेश से है। सभी का इलाज गुजरात में हुआ। पटेल ने कहा, राज्य में संदिग्ध चांदीपुरा वायरस के छह मरीजों की मौत हुई है, लेकिन नमूनों के नतीजे आने के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि ये मौतें चांदीपुरा वायरस के कारण हुई हैं या नहीं। छह में से पांच मौतें साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर के सिविल अस्पताल में हुई हैं। पटेल ने कहा कि साबरकांठा के आठ समेत सभी 12 नमूनों को पुष्टि के लिए पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) भेजा गया है। हिम्मतनगर के सिविल अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञों ने 10 जुलाई को चार बच्चों की मौत का कारण चांदीपुरा वायरस होने का संदेह जताया था। पुष्टि के लिए उनके नमूने एनआईवी को भेजे थे। बाद में अस्पताल में चार और बच्चों में इसी तरह के लक्षण दिखे।
संक्रामक नहीं है चांदीपुरा वायरस
पटेल ने बताया कि चांदीपुरा वायरस संक्रामक नहीं है। हालांकि, प्रभावित इलाकों में गहन निगरानी की गई है। हमने 4,487 घरों में 18,646 लोगों की जांच की है। स्वास्थ्य विभाग बीमारी को फैलने से रोकने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहा है। पटेल ने कहा कि बुखार के अलावा उल्टी, दस्त और सिरदर्द इसके मुख्य लक्षण हैं। ये लक्षण दिखने पर डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।