सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव। (फाइल फोटो)
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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरक्षण के भीतर आरक्षण के मुद्दे पर अपनी पार्टी की लाइन स्पष्ट कर दी है। उन्होंने जारी बयान कहा कि किसी भी प्रकार के आरक्षण का मूल उद्देश्य उपेक्षित समाज का सशक्तीकरण होना चाहिए, न कि उस समाज का विभाजन या विघटन। इससे आरक्षण के मूल सिद्धांत की ही अवहेलना होती है। उन्होंने कहा कि पीडीए के लिए संविधान संजीवनी है, तो आरक्षण प्राणवायु।
अखिलेश का यह बयान आरक्षण के उप वर्गीकरण के मामले में सुप्रीम कोर्ट के हाल के फैसले को देखते हुए अहम माना जा रहा है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस करके आरक्षण के भीतर आरक्षण ( उप वर्गीकरण) का विरोध करते हुए इस मामले में सपा और कांग्रेस की नीयत भी साफ न होने की बात कही थी।
अखिलेश यादव ने रविवार को जारी आधिकारिक बयान में कहा कि पीढ़ियों से चले आ रहे भेदभाव और मौकों की गैर बराबरी की खाई चंद पीढ़ियों में आए परिवर्तनों से नहीं पाटी जा सकती। आरक्षण शोषित, वंचित समाज को सशक्त व सबल करने का सांविधानिक मार्ग है। इसी से बदलाव आएगा। इसके प्रावधानों को बदलने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार हर बार अपने गोलमोल बयानों के माध्यम से आरक्षण की लड़ाई को कमजोर करने की कोशिश करती है। जब पीडीए के विभिन्न घटकों का दबाव पड़ता है, तो दिखावटी सहानुभूति दिखाकर पीछे हटने का नाटक करती है। अखिलेश ने कहा कि भाजपा की अंदरूनी सोच सदैव आरक्षण विरोधी रही है। आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा की विश्वसनीयता शून्य हो चुकी है।