उपराज्यपाल मनोज सिन्हा
– फोटो : डीपीआईआर, जम्मू कश्मीर
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जम्मू-कश्मीर में बहुत जल्द विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद है। इसे लेकर सरकार अनुच्छेद 370 हटने के बाद से ही आश्वस्त है। उम्मीद है कि चुनाव आयोग जल्द ही चुनाव की तारीख घोषित करेगा। यह चुनाव कराने का माकूल माहौल है। उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि मुझे विश्वास है कि चुनाव शांतिपूर्ण और निष्पक्ष होंगे। चुनाव आयोग की पूरी टीम जम्मू-कश्मीर में जमीनी हकीकत का आकलन करने के बाद लौटी है। उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार विधानसभा चुनाव की तारीख घोषित होगी।
उप राज्यपाल ने कहा, जिस दिन अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त किया गया था। उस दिन गृह मंत्री ने संसद में कहा था कि पहले परिसीमन होगा। उसके बाद विधानसभा चुनाव होंगे और फिर उचित समय पर राज्य का दर्जा दिया जाएगा। उस दिन से लेकर आज तक इस रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। विधानसभा का आकार बढ़ाया गया और उसके बाद न्यायमूर्ति रंजना देसाई की अध्यक्षता में परिसीमन आयोग ने नई सीमाएं निर्धारित करने पर काम किया। परिसीमन आयोग ने प्रदेश का दौरा किया। सभी हितधारकों से परामर्श किया और परिसीमन प्रक्रिया पूरी की।
एनसी और कांग्रेस के आतंकवाद का हवाला देकर चुनाव में देरी की आशंका पर एलजी ने कहा कि प्रदेश में लोकसभा चुनाव सफल रहे। इसमें कुल 58 प्रतिशत मतदान हुआ। घाटी में 50 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ। 35-36 वर्षों में पहली बार घाटी में युवाओं, महिलाओं और बुजुर्गों सहित इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने मतदान किया। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि लोगों का लोकतंत्र में विश्वास है। पहले केवल 11-12 प्रतिशत मतदाता ही मतदान में भाग लेते थे। विधानसभा चुनाव के लिए प्रशासन पूरी तरह से तैयार है और मुझे विश्वास है कि ये पूरी तरह से शांतिपूर्ण और निष्पक्ष होंगे।
रशीद जैसे लोगाें को राजनीति में आगे बढ़ने से रोकने को उठाएंगे कदम
जेल में बंद इंजीनियर राशिद के संसद में चुने जाने और इससे लोकतांत्रिक राजनीति में अलगाववाद बढ़ने के बारे में कुछ राजनीतिक दलों की आलोचना का जवाब देते हुए सिन्हा ने कहा कि लोकतंत्र में लोगों का निर्णय सर्वोच्च होता है। यह सच है कि ऐसे तत्व संसद तक पहुंच गए हैं। देश उन्हें जानता है और हम भी उन्हें जानते हैं। मैं मतदाताओं से आग्रह करता हूं, राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए निर्णय लें। ऐसे लोगों को राजनीति में आगे बढ़ने से रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। केंद्र द्वारा उन्हें सशक्त बनाने वाली हाल की अधिसूचना की आलोचना पर एलजी ने कहा कि यह कोई नई बात नहीं है। इसमें कोई संशोधन नहीं है। 31 अक्तूबर के राज्य पुनर्गठन अधिनियम में इसे शामिल किया गया था और चुनाव से पहले अधिसूचना जारी की गई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 370, 35-ए और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को निरस्त करने के संबंध में संसद के फैसले का समर्थन किया है।