यूपी के कई जिले भेड़ियों से प्रभावित।
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आखिर भेड़ियों के आदमखोर होने की वजहें क्या हैं? इस सवाल का यकीनी तौर पर कोई मुकम्मल जवाब तो नहीं है, फिर भी विशेषज्ञ जंगलों के कटान, जानवरों के रहन-सहन में मानव की दखलअंदाजी को प्रमुख वजहें मानते हैं। बाढ़ और रसायनिक खादों, पेस्टिसाइड के अंधाधुंध इस्तेमाल को भी उनके व्यवहार में बदलाव की वजह माना जा रहा है।
वन्य जीव विशेषज्ञ व वन निगम के उत्पादन विभाग के महाप्रबंधक संजय पाठक कहते हैं, भेड़िये के स्वभाव पर लगातार अध्ययन चल रहा है। बहरहाल, भेड़िया एक ऐसा जानवर है जो मानव का दोस्त माना जाता है। भेड़ियों के स्वभाव में जैसा परिवर्तन देखने को मिल रहा है, वह निस्संदेह चिंतित करने वाला है।
बाढ़ है एक बड़ी वजह
पाठक बताते हैं कि भेड़िया एक ऐसा जानवर है, जो नदी के किनारों पर रहता है। यूपी के जिन इलाकों में इसकी संख्या ज्यादा है, उनमें ज्यादातर बाढ़ प्रभावित हैं। इसी वजह से भेड़िया गांवों की तरफ रुख कर रहा है। रसायनिक खादों और पेस्टिसाइड के इस्तेमाल से भेड़िया खेतों से दूर भागते हैं। उनके लिए खेतों में भोजन नहीं बचा है, जिससे वे आबादी की ओर पलायन करते हैं। भोजन नहीं मिलना भी स्वभाव में बदलाव की बड़ी वजह हो सकता है।
जंगलों का कटान भी भेड़ियों के हमलावर होने के पीछे एक प्रमुख कारण है। जंगलों में हर मोड़ पर व्यवधान बना दिए गए हैं। सड़कों पर स्ट्रीट लाइटों की संख्या बढ़ी है। भेड़िये कम रोशनी वाली जगह से सड़क पार करने की कोशिश करते हैं, जिससे वे दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। बलरामपुर, बहराइच, सुल्तानपुर, लखीमपुर, श्रावस्ती, बहराइच जैसे जिलों के बाढ़ आने पर भेड़िये सुरक्षित ठौर की तलाश में इधर-उधर भागते हैं।
भेड़िया मनुष्य का मित्र, उसके साथ सामंजस्य बिठाएं
पाठक कहते हैं कि भेड़िया हमेशा से मनुष्य का मित्र रहा है। वह बेवजह इंसान पर हमला नहीं करता। वह हमारे जलतंत्र के संरक्षण में भी सहायक है। जलतंत्र के आसपास के इकोसिस्टम को वह सुरक्षित करता है। इसलिए भेडियों से हमें सामंजस्य बिठाना होगा, जैसे हमारे पूर्वज बिठाते थे। मसलन जहां पर आमने-सामने की स्थिति बने, वहां से रास्ता बदल लें।