हरियाणा विधानसभा चुनाव।
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कांग्रेस के लिए सपा का ”एक हाथ दो, दूसरे हाथ लो” फॉर्मूला तैयार है। हरियाणा के विधानसभा चुनाव में सपा के साझेदारी के प्रस्ताव पर अभी तक विचार न होने से दोनों दलों के बीच खटास पैदा हुई है। वहां सपा आम आदमी पार्टी को सक्रिय समर्थन कर सकती है। सपा सूत्रों की मानें तो इसका यूपी के विधानसभा उपचुनाव में असर दिखना तय है। सपा नेतृत्व ने यहां भी कांग्रेस के दावे को स्वीकार न करने का मन बना लिया है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में सपा ने इंडिया गठबंधन के तहत 5 सीटों पर लड़ने का प्रस्ताव भेजा था। यह प्रस्ताव सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की अपनी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर का बनाने की रणनीति के तहत था। बताते हैं कि कांग्रेस इस पर विचार करने को तैयार नहीं है। यहां तक कि जींद जिले की जो एक सीट सपा ने अपने एक प्रत्याशी को लड़ाने के लिए मांगी थी, उस पर भी कांग्रेस ने विचार नहीं किया। बताते हैं अभी तक सपा के प्रस्ताव पर कांग्रेस हाईकमान ने किसी तरह का जवाब देना तक मुनासिब नहीं समझा।
इसे सपा नेतृत्व की नाराजगी के तौर पर देखा जा रहा है कि कि हरियाणा चुनाव में इंडिया गठबंधन को मजबूत करने संबंधी एक्स पर शुक्रवार की अपनी पोस्ट में अखिलेश ने एक बार भी कांग्रेस का नाम नहीं लिया। सिर्फ इतना कहा कि इंडिया गठबंधन की जो पार्टी भाजपा को हराने में सक्षम होगी, हरियाणा में सपा उसे अपना समर्थन देगी।
सभी सीटों पर आप उतारेगी प्रत्याशी
माना जा रहा है कि वहां सपा, आम आदमी पार्टी को समर्थन देने पर विचार कर रही है। चर्चा है कि कांग्रेस से सीटों की साझेदारी पर बात न बनने पर आम आदमी पार्टी वहां सभी 90 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार सकती है। एक-दो दिन में अपने प्रत्याशियों की घोषणा भी कर सकती है।
यहां बता दें कि यूपी के विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस 10 में से 5 सीटें मांग रही है। सपा सूत्रों का कहना है कि हरियाणा का उदाहरण सामने रखते हुए यहां सपा कांग्रेस को हिस्सेदारी के मामले में ठेंगा दिखा सकती है। इतना ही नहीं इसकी तपिश वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकती है।