आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत
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अलवर में आरएसएस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदू समाज देश का कर्ता-धर्ता है। अगर इस देश में कुछ भी गलत होता है, तो इसका असर हिन्दू समाज पर पड़ता है क्योंकि यह देश का कर्ताधर्ता है, लेकिन अगर देश में कुछ भी अच्छा होता है, तो इससे हिंदुओं का गौरव बढ़ता है।
भागवत ने कहा कि हिन्दू होने का मतलब दुनिया का सबसे उदार व्यक्ति होना है, जो सभी को गले लगाता है, सभी के प्रति सद्भावना दिखाता है। उन्होंने कहा कि ऐसा व्यक्ति शिक्षा का उपयोग कलह पैदा करने के लिए नहीं बल्कि ज्ञान बांटने के लिए करता है, धन का उपयोग भोग-विलास के लिए नहीं बल्कि दान के लिए करता है और शक्ति का उपयोग कमजोर लोगों की रक्षा के लिए करता है।
आरएसएस प्रमुख ने स्वयंसेवकों से पांच प्रमुख सिद्धांतों सामाजिक सद्भाव, पर्यावरणीय प्रबंधन, पारिवारिक मूल्य, आत्म-जागरूकता और नागरिक अनुशासन को अपनाने और उसे बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने पारिवारिक मूल्यों में गिरावट पर भी चिंता व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया के दुरुपयोग को इसका जिम्मेदार ठहराया। उनका मानना था कि इससे युवा पीढ़ी तेजी से पारंपरिक मूल्यों से नाता खो रही है।
भागवत ने सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित करने के लिए परिवारों को नियमित रूप से एक साथ आने की आवश्यकता पर जोर दिया और सुझाव दिया कि परिवारों को धार्मिक गतिविधियों में शामिल होने और भोजन साझा करने के लिए सप्ताह में एक बार इकट्ठा होना चाहिए।
इस अवसर पर भागवत ने शहर के मातृ वन पार्क में पौधारोपण भी किया। इस अवसर पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव, प्रदेश के पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा व अन्य लोग भी उनके साथ थे। सांसद यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री के ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की तर्ज पर हरित आवरण बढ़ाने के लिए मातृ वन विकसित किया जा रहा है। गौरतलब है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत 17 सितंबर तक अलवर में रहेंगे।