सिंगापुर में हुए एफएटीएफ की बैठक के दौरान मौजूद सिंगापुर के पीएम व अन्य (फाइल फोटो)
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वैश्विक धन शोधन व आतंकवाद के वित्तपोषण रोधी निकाय एफएटीएफ ने गुरुवार को भारत पर अपनी बहुप्रतीक्षित पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट जारी की। इसमें कहा गया कि देश की प्रणालियां ‘प्रभावी’ हैं लेकिन इन मामलों में अभियोजन को मजबूत करने के लिए ‘बड़े सुधार’ की जरूरत है।
368 पृष्ठों की यह रिपोर्ट पेरिस मुख्यालय वाली संस्था एफएटीएफ (Financial Action Task Force) की ओर से जून माह की पूर्ण बैठक में उक्त मूल्यांकन को अपनाए जाने के बाद जारी की गई। भारत की धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने की व्यवस्था की पिछली समीक्षा 2010 में प्रकाशित हुई थी।
यह रिपोर्ट, जो पिछले वर्ष नवम्बर में FATF विशेषज्ञों के भारत दौरे के बाद आई है, ने देश को “रेग्युलर फॉलोअप” श्रेणी में रखा है, यह वह स्थान है जो केवल चार अन्य G20 देशों को प्राप्त है। भारत का अगला मूल्यांकन 2031 में होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने धन शोधन निरोधक (एएमएल) और आतंकवाद के वित्तपोषण निरोधक (सीएफटी) प्रणाली लागू की है जो कई मायनों में प्रभावी है।
हालांकि, उसने कहा कि धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण के मामलों में अभियोजन को मजबूत करने के लिए “बड़े सुधार” की आवश्यकता है। इससमें कहा गया है कि गैर-लाभकारी क्षेत्र को आतंकवादी दुरुपयोग से बचाने के लिए भी प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत में धन शोधन का मुख्य स्रोत देश के भीतर की अवैध गतिविधियों से उत्पन्न होता है।” रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देश को विभिन्न प्रकार के आतंकवादी खतरों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें सबसे प्रमुख खतरा ISIL (इस्लामिक स्टेट या ISIS) या अलकायदा से जुड़े समूह हैं, जो जम्मू-कश्मीर और उसके आसपास सक्रिय हैं।
रिपोर्ट में एफएटीएफ की 40 अनुशंसाओं के अनुपालन के स्तर और भारत की एएमएल/सीएफटी प्रणाली की प्रभावशीलता के स्तर का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट में इस बात की सिफारिशें दी गई हैं कि प्रणाली को किस प्रकार मजबूत बनाया जा सकता है।