दुद्धी/सोनभद्र। नगर तथा आसपास के क्षेत्रों में असत्य पर सत्य की विजय का पर्व दशहरा हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। स्थानीय रामलीला मैदान पर लगने वाले 165 वर्षो से पारम्परिक मेलें में इस बार ऐतिहासिक भीड़ उमड़ी। जिसे कन्ट्रोल करने में प्रशासन के पसीने छूटते नजर आए। मेले में आयोजित होने वाले श्रीराम रावण युद्ध का प्रत्यक्षदर्शी बन आनन्द लेने वाले हजारों श्रद्धालु महिला-पुरूष की भीड़ जमी रही। सुर्यास्त होते ही श्रीराम के बाणों से रावण धराशायी हुआ।
इसके साथ ही 51फीट उंचा रावण का पुतला धू-घू करके जल उठा। इस दौरान नगर की स्थापित मां दुर्गा की पांचो प्रतिमाएं भी श्रीराम-रावण युद्ध में श्रीराम की विजय की साक्षी बनी। इसके उपरान्त धराशायी रावण ने श्रीराम के निवेदन पर भ्राता लक्ष्मण को राजधर्म की शिक्षा देते हुए तीन गुण बताए जिसमें कहाकि शत्रु को कभी छोटा मत समझो, पहचानने में कभी जल्दबाजी न करो, कोई व्यक्ति तुक्ष्य या छोटा नही होता, तीसरी शिक्षा देते हुए कहा की मैने जब बह्मा जी से अमरता का वरदान मांगा था तब मनुष्य और वानर के अतिरिक्त कोई भी मेरा वध न कर सके ऐसा मांगा था इस वरदान को मांगने में मैने इन दोनों को बहुत तुक्ष्य समझा जिससे मेरी यह हालत हुई। रावण दहन के बाद रामलीला कमेटी दुद्धी द्वारा आयोजित भव्य आतिजबाजी का नजारा देखने को मिला। रामलीला कमेटी के अध्यक्ष जितेन्द्र श्रीवास्तव ने मौजूद लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हर साल की तरह इस बार भी रावण का अन्त हुआ पर यह अपने जीवन मे क्रियानवयन करके समाज के अन्दर छुपे अन्धकाररूपी रावण का अन्त करना बहुत जरूरी है। जिससे समाज देश आगे की ओर प्रगति कर सुरक्षित रहेगा।
अन्त में भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मां दुर्गा की प्रतिमाएं नगर के शिवाजी मराठा तालाब में विसर्जित की गयीं। लोग देर रात तक एक-दूसरे के गले मिलकर विजयादशमी की बधाईयां देते रहे। इस दौरान एडिशनल एसपी त्रिभुवन नाथ त्रिपाठी, श्रवण गोड, रामलीला कमेटी के महामंत्री कमल कुमार कानू, जय बजरंग अखाड़ा समिति के अध्यक्ष पंकज जयसवाल, कन्हैया लाल अग्रहरि, दिनेश जायसवाल, कोतवाल मनोज कुमार सिंह, सुरेन्द्र अग्रहरी, रामलोचन तिवारी, रामपाल जोहरी, रविन्द्र जायसवाल, गोरख नाथ, राजकुमार अग्रहरि, प्रेम नारायण सिंह, दीपक शाह, मनीष जयसवाल, अमरनाथ जायसवाल, संजु तिवारी, सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।