कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप
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न्यूयार्क की सड़कों पर जो चीजें जो बड़ी शिद्दत से अपनी मौजूदगी दर्ज कराती हैं, वे गगनचुंबी इमारतें और रोशन बिलबोर्ड की चकाचौंध ही नहीं, बल्कि चरस के धुएं की तीखी गंध भी है। मैनहटन जैसे दुनिया के सबसे महंगे इलाके में भी किसी न किसी कोने से आता इसका धुआं सांसों को झनझना देता है। मानो, हवा में ही चरस घुली हो।
अमेरिका के संघीय कानून के मुताबिक चरस प्रतिबंधित है, लेकिन न्यूयॉर्क स्टेट समेत कई राज्यों में इसका इस्तेमाल वैध है। शराब के बाद चरस न्यूयॉर्क में सबसे ज्यादा उपभोग किया जाने वाला नशा है। इसके इस्तेमाल में उम्र की बंदिश भी टूट जाती है। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर जैसे बेहद व्यस्त इलाके में मुस्तैद एनवायपीडी के जवान भी इस ओर कम ध्यान देते नजर आते हैं। चरस के व्यापक इस्तेमाल का ही दबाव है कि कमला हैरिस व डोनाल्ड ट्रंप के बीच चुनावी मुकाबले में भी चरस प्रतिबंधों में रियायत एक मुद्दा है।
दोनों ही उम्मीदवार इस पर लगे प्रतिबंधों में रियायत के हामी हैं। फर्क बस इतना है कि कमला हैरिस चरस को शिड्यूल-1 से निकालकर शिड्यूल-3 में डालने की पक्षधर हैं, ताकि इसके इस्तेमाल पर सजा को कम किया जा सके। हालांकि, कैलिफोर्निया में एटॉर्नी के तौर पर चरस इस्तेमाल करने वालों को सजा दिलाने में कमला के रिकॉर्ड को ट्रंप का खेमा भुनाता नजर आता है। पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप चरस पर केंद्रीय कानून के प्रतिबंध का तो समर्थन करते हैं, लेकिन राज्यों के स्तर पर रियायतों की वकालत करते हैं। ट्रंप अपनी रैलियों में कह चुके हैं कि सीमित मात्रा में इसके इस्तेमाल पर रियायत होनी चाहिए।
10 में से तीन अमेरिकी कर चुके हैं चरस का इस्तेमाल
लोक स्वास्थ्य मामलों पर अमेरिका की सबसे ताकतवर संस्था सीडीसी के आंकड़े बताते हैं कि करीब 5.2 करोड़ लोगों, यानी देश की 19 प्रतिशत आबादी ने साल 2021 में कम से कम एक बार चरस का इस्तेमाल किया है। एक शोध के मुताबिक, 10 में से तीन अमेरिकी चरस का इस्तेमाल कर चुके हैं। अमेरिकी स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता है कि 18 साल से कम उम्र में चरस फूंकने के कारण के बड़ी आबादी कैनाबिस डिसऑर्डर का शिकार हो रही है। अमेरिका के सर्जन जनरल विवेक मूर्ति भी चरस के इस्तेमाल को लेकर आगाह करते रहे हैं।
सिंथेटिक ड्रग्स ने बढ़ाई चिंता
अमेरिका में सिंथेटिक ड्रग्स का किशोर उम्र में बढ़ता इस्तेमाल सरकार के लिए नई चिंता का सबब बनता जा रहा है। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित आंकड़े बताते हैं कि साल 2010 से 2021 के बीच किशोर उम्र के युवाओं में ड्रग्स ओवरडोज से होने वाली मौत का आंकड़ा बढ़ा है। फेटामाइन, हेरोइन समेत अन्य नशीली दवाओं तक पहुंच रोकना सरकार के लिए चुनौती है।