निर्मोही अनि अखाड़ा के संत।
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वैरागी परंपरा के वैष्णव संतों में निर्मोही अनि अखाड़े का लंबे समय से दबदबा रहा है। यह वही अखाड़ा है जिसने राम मंदिर आंदोलन में बढ़ चढ़कर हमेशा हिस्सा ही नहीं लिया, इस केस में मुख्य पक्षकार भी रहा है। अवध के नवाब ने इस अखाड़े को हनुमान टीले पर सात बीघा भूमि दान दी थी।
बाबा अभयराम दास इस गढ़ी के पहले श्रीमहंत थे। कुंभ, अर्धकुंभ और महाकुंभ के आयोजन में निर्मोही अनि अखाड़े की अहम भूमिका रही है। कुंभ और अर्धकुंभ में शाही स्नान में इन अखाड़ों को प्राथमिकता दी जाती रही है और इसी वजह से इन अखाड़ों में जमकर संघर्ष भी हुए हैं।