Civil war in Syria: सीरिया में तख्तापलट हो गया है. सीरिया के विद्रोही गुटों ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है. सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर चले गए हैं. इसी के साथ सीरिया में बशर अल-असद के शासन का अंत हो गया है. सीरिया पर अल-असद का परिवार 53 वर्षों से शासन कर रहा था.
राजधानी दमिश्क पर विद्रोहियों का कब्जा होते ही लोगों ने बशर अल असद के पिता की मूर्ति को तोड़ दिया. ऐसा कई देशों में देखा जा चुका है कि जो कल तक देश के लिए मसीहा हुआ करते थे, लोगों ने तख्तापलट के बाद उनकी मूर्तियों को तोड़ना तक शुरू कर दिया. आइये जानते हैं कि तख्तापलट के बाद किन नेताओं की मूर्तियों को तोड़ दिया गया.
हाफिज अल-असद- सीरिया
सीरिया के विद्रोही गुटों ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा करते ही भगोड़े राष्ट्रपति बशर अल असद के पिता हाफिज अल-असद की मूर्ति को तोड़ दिया था. वो एक सीरियाई राजनीतिज्ञ और सेना के अधिकारी थे. वो 1971 से 2000 में अपनी मृत्यु तक सीरिया के 18वें राष्ट्रपति थे.
सद्दाम हुसैन- इराक
9 अप्रैल 2003 को इराक के बगदाद के फिरदोस स्क्वायर में सद्दाम हुसैन की एक बड़ी प्रतिमा को इराकी नागरिकों और अमेरिकी सैनिकों ने गिरा दिया गया था. इस घटना को पूरे विश्व की मीडिया ने कवर किआ था. इसे इराक में सद्दाम के शासन के अंत के प्रतीक के रूप में माना जाता है.
मुअम्मर अल गद्दाफी- लीबिया
लीबिया के त्रिपोली में 2011 में विद्रोही लड़ाकों ने कर्नल गद्दाफी के बाब अल-अजीजिया परिसर पर कब्जा कर लिया था. उन्होंने इस दौरान गद्दाफी की मूर्ति को गिरा दिया था. 25 एकड़ का महल का मैदान अब कूड़े के ढेर, बाजार और पालतू जानवरों के एम्पोरियम का घर है.
शेख मुजीबुर्रहमान
अगस्त में बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ था. इसके बाद अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना बांग्लादेश छोड़कर भारत भाग आई थीं. इसके बाद लोगों ने बांग्लादेश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति को तोड़ दिया था.
व्लादिमीर लेनिन- यूक्रेन
सोवियत संघ के पतन के बाद यूक्रेन में व्लादिमीर लेनिन के स्मारकों को गिरा दिया था. 1990 के दशक में ये बहुत तेजी से हुआ था. इसके अलावा यूक्रेन के कुछ पश्चिमी शहरों में व्लादिमीर लेनिन के स्मारकों को गिरा दिया गया था.
डीए राजपक्षे- श्रीलंका
श्रीलंका में मई 2022 में हुए जनविद्रोह में लोगों ने महिंदा राजपक्षे और गोटबाया राजपक्षे के पिता डीए राजपक्षे की प्रतिमा को गिरा दिया था. इस दौरान प्रदर्शनकारियों का कहना था कि राजपक्षे परिवार की वजह से ही देश को नुकसान हुआ और अर्थव्यवस्था गर्त में पहुंच गई.