<p style="text-align: justify;" data-pm-slice="1 1 []"><strong>Middle East Conflict: </strong>हमास और इजरायल के बीच चल रहे विवाद में एक और पेच तब सामने आया जब हमास ने अब तक उन बंधकों की लिस्ट इजरायल को नहीं सौंपी जिन्हें रिहा किया जाना है. इजरायल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने रविवार (19 जनवरी) की सुबह एक बयान जारी कर ये जानकारी दी. बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रातभर एक उच्च-स्तरीय सुरक्षा बैठक की. इस बैठक में चर्चा का मुख्य बिंदु बंधकों की सूची के अभाव में सीजफायर को लागू करने की प्रक्रिया थी.</p>
<p style="text-align: justify;">पीएम नेतन्याहू ने स्पष्ट रूप से कहा कि जब तक हमास उन बंधकों की लिस्ट नहीं देता जिनकी रिहाई की उसने प्रतिबद्धता जताई है तब तक सीजफायर लागू नहीं किया जाएगा. जानकारी के अनुसार यह सीजफायर सुबह 8:30 बजे से प्रभावी होने वाला था, लेकिन प्रधानमंत्री ने इसे तत्काल रोकने का निर्देश दिया.उनका कहना था कि इजरायल की सुरक्षा और बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करना सर्वोपरि है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>आईडीएफ को दिए गए सख्त निर्देश</strong></p>
<p style="text-align: justify;">पीएम कार्यालय ने बताया कि नेतन्याहू ने इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) को निर्देश दिए हैं कि किसी भी स्थिति में सीजफायर को तब तक लागू न किया जाए जब तक हमास की ओर से बंधकों की पूरी लिस्ट नहीं दे दी जाती. उन्होंने ये भी कहा कि हमास को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और इसे केवल बातचीत का हिस्सा बनाकर नहीं टाला जा सकता.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>इजरायल और हमास के बीच तनाव </strong></p>
<p style="text-align: justify;">इस घटनाक्रम ने इजरायल और हमास के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है. बताया जा रहा है कि सीजफायर को लेकर बनी अनिश्चितता से क्षेत्रीय स्थिरता को झटका लगा है. इजरायल ने स्पष्ट किया है कि उनकी प्राथमिकता अपने नागरिकों और सैनिकों की सुरक्षा है जबकि हमास की ओर से अभी तक इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस गतिरोध से शांति वार्ता और क्षेत्रीय संतुलन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>हमास की प्रतिक्रिया पर सभी की निगाहें</strong></p>
<p style="text-align: justify;">बंधकों की रिहाई और सीजफायर के मुद्दे पर बनी ये असहमति न केवल दोनों पक्षों के लिए बल्कि क्षेत्र के लिए भी बड़ी चुनौती बन चुकी है. इजरायल ने अपनी स्थिति को स्पष्ट करते हुए यह संकेत दिया है कि सुरक्षा से किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा. अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि हमास इस पर क्या प्रतिक्रिया देगा और इसका क्या समाधान निकलेगा.</p>
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