कमरे में सूबेदार की पत्नी, बेटी और बेटे के मृत मिलने के मामले में देर शाम पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई। बताया गया कि कमरे में जल रही अंगीठी से जब सांस लेने में दिक्कत हुई तो सात साल के मासूम वैभव ने मां, छोटी बहन और खुद को बचाने के लिए संघर्ष किया था। इसमें उसके हाथ भी जल गए। सफल नहीं होने पर और दम घुटने से वह फर्श पर गिर गया। उसकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार खाना खाने के तीन घंटे बाद मौत हुई है।
सोमवार शाम करीब सात बजे पुलिस ने मां और उसके दोनों बच्चों के शव का पोस्टमार्टम कराया। इसमें वैभव के बाएं हाथ की अंगुलियां ऊपर की तरफ झुलसी मिली हैं। इससे अनुमान है कि उसने मौत से पहले अंगीठी को बुझाने का प्रयास किया होगा। वह इसमें सफल नहीं हो पाया। कमरे में उसके शव के पास ही खाली गिलास भी पड़ा मिला है। दूध भरा गिलास मेज पर रखा था और दवा की एक शीशी भी फर्श पर गिरी पड़ी थी।
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उन्नाव हादसा
– फोटो : amar ujala
दस बजे तीनों की सोते समय ही हालत बिगड़ी
इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि वैभव बचने के लिए इधर-उधर भागा, लेकिन सफल नहीं हो सका। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर के अनुसार मां-बेटे की मौत खाना खाने के करीब तीन घंटे बाद हुई थी। अनुमान है कि रात करीब दस बजे तीनों की सोते समय हालत बिगड़ी और कार्बन मोनो ऑक्साइड के प्रभाव से कमरे में ऑक्सीजन की कमी हुई जो मौत की वजह बनी। रिपोर्ट के अनुसार तीनों के फेफड़े काम करना बंद कर दिया था।
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रात आठ बजे पत्नी से की थी आखिरी बार बात
सूबेदार आलोक सिंह 13 अक्तूबर 2024 को बेटे वैभव के जन्मदिन पर घर आए थे। एक महीने तक परिवार के साथ रहने के बाद 20 नवंबर को वह ड्यूटी पर गए थे। उन्होंने परिवार के लोगों से फोन पर बात करते हुए बताया कि उन्हें क्या पता था कि वह परिवार से आखिरी बार मिलकर जा रहे हैं। लद्दाख में ड्यूटी पर तैनात सूबेदार आलोक रोज रात को और सुबह पत्नी व बच्चों से बात करते थे। रविवार रात आठ बजे उनकी पत्नी से फोन पर आखिरी बार बात हुई थी। सोमवार सुबह भी फोन किया था लेकिन रिसीव नहीं हुआ।
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दस्तक देकर लौट गया था दूध देने आया गांव का युवक
आलोक के चचेरे भाई पंकज कस्बे के ही एक स्कूल में परिचालक हैं। उन्होंने बताया कि गांव से रोजाना आलोक के घर में दूध आता है। गांव का मेवालाल बांगरमऊ कस्बे में ही फर्नीचर की दुकान में काम करता है। वही रोज दूध लेकर आता है। सोमवार सुबह 9:30 बजे मेवालाल दूध देने के लिए पहुंचा था, लेकिन काफी देर तक दरवाजा पर दस्तक देने के बाद भी नहीं खुला। इस पर वह दूध पड़ोसी को देकर चला गया था।
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जैसे-तैसे घर के अंदर पहुंचा
मेवालाल ने रचना के ससुर सुंदर सिंह और सूबेदार आलोक को फोन करके बताया था कि कोई दरवाजा नहीं खोल रहा है और ना ही कोई जवाब दे रहा है। इसके बाद आलोक ने चचेरे भाई पंकज को फोन पर घर जाकर देखने को कहा था। दो मंजिला घर होने से जैसे-तैसे घर के अंदर पहुंचा, तो देखा नीचे के हिस्से में रसोई के बगल के कमरे में शव पड़े थे। आलोक के मुताबिक घर से कोतवाली 800 मीटर और सीओ कार्यालय 500 मीटर दूर हैं, जबकि बच्चे के स्कूल की दूरी डेढ़ किलोमीटर है।