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चिड़ियाघर से विदा हुई गौरी – फोटो : अमर उजाला
विस्तार
चिड़ियाघर से बुधवार देर रात 15 महीने की मादा गैंड़ा गौरी विदा कर दी गई। उसके जाने के बाद बाड़े के कीपर संतोष व रोहन रात भर चैन से सो नहीं सके। वहीं, बीट प्रभारी शाहदाब भी गाैरी के जाने से बेचैन रहे। चिड़ियाघर के पशु चिकित्सकों और रेंजर नवेद इकराम को भी उसके जाने का मलाल रहा। दरअसल जन्म लेने के 10 दिन बाद ही गाैरी ने मां को खो दिया था। सभी ने उसकी एक बच्चे की तरह परवरिश की थी।
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गैंडा मानू ने 16 अक्तूबर 2023 में गौरी को जन्म दिया था। 10 दिन बाद ही गैंडा मानू की मौत के बाद गौरी ने खाना-पीना छोड़ दिया था, जिसकी वजह से वह कमजोर होती जा रही थी और उसके जीवित बचने की संभावना बहुत कम लग रही थी। ऐसे में चिड़ियाघर प्रबंधन ने असम के काजीरंगा से एक विशेष बोतल मंगाई गई और उससे गाैरी को दूध पिलाया जाने लगा, जिससे उसकी हालत में सुधार हुआ और गाैरी के जिंदा रहने की उम्मीदें जागने लगीं।
कीपर संतोष और रोहन दिनरात गौरी की निगहबानी करते थे। बीट प्रभारी शाहदाब दिनभर माैजूद रहते थे, जबकि डॉ .अनुराग और टीम के साथ हर घंटे गाैरी के पास पहुंचते थे। गाैरी के साथ समय व्यतीत करना सभी की दिनचर्या का हिस्सा बन गया था। बुधवार रात वनतारा चिड़ियाघर प्रबंधन को साैंपे जाने के बाद सभी दुखी दिखे। रेंजर नवेद इकराम ने बताया कि गौरी काफी छोटी है। एहतियात के तौर पर उसके साथ कीपर रोहन को भेजा गया है। गाैरी के वहां के कीपरों से हिलने के बाद रोहन वापस आ जाएगा।
गैंडा पवन भी रहा बेचैन, बाड़े से झांकता रहा
गैंडा मानू और पवन की जोड़ी से गौरी जन्मी थी। पवन और गौरी के बाड़े में महज एक दीवार का फासला है। बुधवार को गौरी को विदा होना था, लेकिन इसके दो दिन पहले ही जैसे पवन को आभास हो गया हो, वह बार-बार गौरी के बाड़े की तरफ आता और उसे निहारता था।