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लंपी वायरस – फोटो : अमर उजाला
विस्तार
लंपी वायरस के संक्रमण से मवेशियों को बचाने के लिए भारत ने दुनिया का पहला डीवा मार्कर टीका तैयार किया है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने हाल ही में इसके लिए लाइसेंस को मंजूरी दी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहयोग से हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक की बायोवेट कंपनी ने टीके को तैयार किया है, जिसे बायोलम्पिवैक्सिन नाम दिया है।
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क्या है लंपी वायरस
लंपी को गांठदार त्वचा रोग भी कहते हैं। यह मवेशियों में होने वाली संक्रामक बीमारी है, जो पॉक्स विरिडे परिवार के वायरस के कारण होती है। इसे नीथलिंग वायरस भी कहा जाता है। इससे त्वचा पर गांठ बन जाती है। मवेशियों को बुखार, सूजी हुई लिम्फ नोड्स, दूध की मात्रा में कमी व चलने-फिरने में कठिनाई होती है। यह वायरस मच्छर, कीट और अन्य काटने वाले कीड़ों से फैलता है। बायोवेट संस्थापक डॉ. कृष्णा एला ने बताया कि टीके को तीन महीने से अधिक उम्र के मवेशियों को साल में एक बार दिया जाना जरूरी है।
किए गए कई परीक्षण
आईसीएआर-एनआरसीई और भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के शोधकर्ताओं ने कई परीक्षण किए। इनके निष्कर्षों के आधार पर सरकार ने मवेशियों के टीकाकरण में इसे शामिल करने का फैसला लिया है।
2022 में एक लाख से ज्यादा मवेशियों की मौत
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात सहित देश के 15 राज्यों में लंपी वायरस के संक्रमण से साल 2022 में करीब एक लाख से अधिक मवेशियों की मौत हुई।