Vijaya Ekadashi 2025: कलयुग में समस्त रोग, दोष, शत्रु पर विजय दिलाने वाले व्रत को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. विजया एकादशी फाल्गुन माह में आती है. शत्रुओं पर विजय दिलाने वाली विजया एकादशी के व्रत को स्वंय प्रभु श्रीराम (Bhagwan Ram) ने लंकापति रावण (Ravan) से युद्ध करने से पहले किया था.
विजया एकादशी कब ?
विजया एकादशी – 24 फरवरी 2025
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 23 फरवरी 2025 को दोपहर 1.55 पर शुरू होगी और इसका समापन 24 फरवरी 2025 को दोपहर 1.44 मिनट पर होगा. एकादशी का व्रत सूर्योदय से अगले दिन द्वादशी के सूर्योदय तक किया जाता है.
- विष्णु जी की पूजा मुहूर्त 24 फरवरी को सुबह 6.51 से सुबह 8.17 के बीच मुहूर्त है.
- विजया एकादशी का व्रत पारण 25 फरवरी 2025 को सुबह 6.50 से सुबह 9.08 मिनट के बीच किया जाएगा.
विजया एकादशी पर शुभ संयोग
विजया एकादशी के दिन सिद्धि योग 23 फरवरी 2025 को सुबह 11.19 मिनट से शुरू होगी 24 फरवरी को सुबह 10.05 मिनट तक रहेगा.
इस दिन सूर्य और बुध कुंभ राशि में गोचर करेंगे. इससे बुधादित्य योग बनेगा.
विजया एकादशी पर न करें ये गलती
इस दिन सूर्योदय से पहले उठे स्नान करके साफ हल्के रंग के कपड़े पहनें. काले रंग के कपड़े न पहनें. प्याज-लहसुन और तामसिक भोजन का बिल्कुल भी प्रयोग ना करें. सुबह और शाम एकादशी की पूजा पाठ में साफ-सुथरे कपड़े पहन कर ही व्रत कथा सुने. नाखून काटने या बाल-दाढ़ी बनवाने से बचें. विजया एकादशी पर एक आसन पर बैठकर नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बाहर जाप जरूर करें.
विजया एकादशी है प्रभावशाली
विजया एकादशी को विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि जो भी जातक विजया एकादशी का व्रत पूरे विधि-विधान से करता है और भगवान विष्णु की पूजा करता है उसके जीवन में सुख-समृद्धि, आरोग्य एवं खुशहाली आती है. आपके घर में या जीवन में जो भी नकारात्मकता होती है उसको समाप्त करने में सहायता मिलती है.
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