{“_id”:”67b02f97fa40d941300e16bd”,”slug”:”un-climate-chief-calls-india-solar-superpower-urges-it-to-make-stronger-climate-action-plan-2025-02-15″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”UN: ‘कुछ देश सिर्फ बातें करते हैं, भारत काम करके दिखाता है’, यूएन जलवायु प्रमुख साइमन स्टील का बड़ा बयान”,”category”:{“title”:”Business Diary”,”title_hn”:”बिज़नेस डायरी”,”slug”:”business-diary”}}
सौर ऊर्जा – फोटो : एएनआई
संयुक्त राष्ट्र के जलवायु प्रमुख साइमन स्टील ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत द्वारा किए गए कामों की तारीफ की और कहा कि भारत सौर ऊर्जा के क्षेत्र में महाशक्ति है। उन्होंने भारत से पूरी अर्थव्यवस्था को करने वाली एक महत्वकांक्षी जलवायु योजना बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा को मजबूती से अपनाने से आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए भारत आए साइमन स्टील ने जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने के लिए भारत के प्रयासों की सराहना की और कहा कि ‘कुछ सरकारें सिर्फ बातें करती हैं, लेकिन भारत काम करके दिखाता है’।
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भारत मजबूती से आगे बढ़ रहा
यूएन जलवायु प्रमुख साइमन स्टील ने कहा कि भारत पहले से ही सौर ऊर्जा के मामले में महाशक्ति है और उन चार देशों में शामिल है, जो 100 गीगावाट से अधिक सौर ऊर्जा का उत्पादन कर रहा है। सौर ऊर्जा की पहुंच बढ़ रही है और देश भर के गांवों में बिजली पहुंचाई जा रही है। उन्होंने कहा, ‘अब भारत के लिए अगला कदम उठाने और भारत के 140 करोड़ लोगों और अर्थव्यवस्था के लिए और भी बड़े फायदे प्राप्त करने का एक वास्तविक अवसर है। भारत पहले से ही इस दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है, लेकिन वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा को और भी मजबूती से अपनाने की जरूरत है, जिससे भारत की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।’
जलवायु योजनाएं देने की अपील
स्टील ने कहा कि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत, महत्वाकांक्षी जलवायु योजनाओं का लाभ उठाने के लिए अच्छी स्थिति में है। भारत सहित कई देशों द्वारा 10 फरवरी की समय-सीमा चूक जाने के बाद, स्टील ने इस महीने की शुरुआत में उनसे सितंबर तक अपनी योजनाएं प्रस्तुत करने का आग्रह किया। देशों को इस वर्ष 2031-2035 की अवधि के लिए राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) या जलवायु योजनाओं का अपनी आगे की योजनाओं को प्रस्तुत करना आवश्यक है। इन जलवायु योजनाओं का सामूहिक उद्देश्य औद्योगिक क्रांति की शुरुआत से वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना है, जो 2015 के पेरिस समझौते का मुख्य लक्ष्य है।