देशव्यापी विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर चुनाव आयोग के शीर्ष अधिकारियों ने राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मुलाकात की है। इस बैठक में आगामी चुनावों से पहले मतदाता सूचियों को दुरुस्त करने और देशव्यापी एसआईआर पर योजना को अंतिम रूप देने पर मंथन हुआ है।
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क्या था बैठक का मकसद?
एसआईआर का मुख्य उद्देश्य पुराने और गलत रिकॉर्ड हटाकर मतदाता सूची को अद्यतन करना है। इसमें खासतौर पर अवैध विदेशी प्रवासियों के नामों की पहचान और उन्हें सूची से हटाने पर जोर दिया जाएगा। आयोग इस बार यह अभियान चरणबद्ध तरीके से शुरू करने पर विचार कर रहा है।
किन राज्यों में पहले चलेगा अभियान?
चुनाव आयोग की योजना है कि एसआईआर की शुरुआत उन राज्यों से की जाए जहां 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन राज्यों में असम, केरल, पुद्दुचेरी, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल शामिल है।
इनके अलावा कुछ और राज्यों को भी पहले चरण में शामिल किया जा सकता है। वहीं जिन राज्यों में फिलहाल स्थानीय निकाय चुनाव चल रहे हैं या होने वाले हैं, वहां यह अभियान बाद में शुरू होगा ताकि स्थानीय चुनावी मशीनरी पर अतिरिक्त दबाव न पड़े।
पुरानी मतदाता सूची बनेगी आधार
हर राज्य में पिछली बार हुए एससआई के रिकॉर्ड को इस बार के अभियान का आधार बनाया जाएगा। जैसे, बिहार में आखिरी एसआईआर 2003 में हुआ था और हाल ही में वहां 7.42 करोड़ मतदाताओं की अंतिम सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की गई। दिल्ली में आखिरी बार गहन पुनरीक्षण 2008 में हुआ था। जबकि उत्तराखंड में 2006 में । वहीं ज्यादातर राज्यों में पिछली एसआईआर 2002 से 2004 के बीच कराई गई थी। अब राज्यों ने मौजूदा मतदाताओं का मिलान उस पुरानी सूची से लगभग पूरा कर लिया है।
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एसआईआर को लेकर क्या बोले सीईसी?
वही मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने पहले कहा था कि पूरे देश में एसआईआर को शुरू करने की तैयारी चल रही है। आयोग के तीनों आयुक्त जल्द ही राज्यों के लिए अभियान की तारीखें तय करेंगे। चुनाव आयोग ने सितंबर में ही राज्यों से एसआईआर के लिए तैयार रहने को कहा था। अब साफ-सुथरी मतदाता सूची तैयार करने की समयसीमा तय की जाएगी ताकि 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले सभी राज्यों की मतदाता सूची अपडेट हो सके।












