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4 Bollywood Movies Where Hero Turn Villain : बॉलीवुड में ऐसी कुछ फिल्में ऐसी भी बनीं जिनमें फिल्म के हाफ में या अंत में पता चलता है कि हीरो ही विलेन है. हीरो के निगेटिव कैरेक्टर की शुरुआत में भनक तक नहीं लगती. बाद में पता चलता है कि हीरो ही विलेन था. दर्शक भी इस तरह की फिल्मों को देखकर चौंक गए. फिल्म के ट्विस्ट ने मूवी का मतलब ही बदल दिया. इन फिल्मों पर दर्शकों ने खूब प्यार बरसाया. ऐसी ही हम तीन फिल्मों की बात करेंगे जो 13 साल के अंतराल में पर्दे पर आई थीं. दिलचस्प तथ्य यह है कि ये तीनों ही फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रहीं.
बॉलीवुड फिल्मों में हीरो की इमेज बहुत साफ-सुथरी मानी जाती है. दर्शकों उनसे निगेटिव किरदार की उम्मीद ही नहीं करते. वॉलीवुड में जब-जब हीरो ने विलेन का रोल निभाया, दर्शक हैरान रह गए. सबसे ज्यादा दिलचस्प बात यह है कि इन फिल्मों में हीरो का किरदार इतनी सफाई से लिखा गया कि शुरुआत में दर्शकों को पता नहीं चला. फिल्म के हाफ में या लास्ट में ही इसका खुलासा किया गया. 13 साल के अंतराल में ऐसी ही फिल्में आईं जिनमें हीरो ही विलेन निकले. ये फिल्में थीं : इंसाफ का तराजू, खून भरी मांग और बाजीगर. तीनों फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया.

सबसे पहले बात करते हैं 11 नवंबर 1980 में रिलीज हुई ‘इंसाफ का तराजू’ की. ‘इंसाफ का तराजू’ को बीआर चोपड़ा ने डायरेक्ट और प्रोड्यूस किया था. फिल्म की कहानी, स्क्रीनप्ले और डायलॉग शब्द कुमार ने लिखे थे. फिल्म में जीनत अमान, राज बब्बर, दीपक पाराशर, पदमिनी कोल्हापुरे, इफ्तिखार, सिमी ग्रेवाल, श्रीराम लागू नजर आए थे. धर्मेंद्र ने कैमियो किया था. यह फिल्म अपने समय की बहुत ही विवादित फिल्म थी. फिल्म के रेप सीन्स पर खूब विवाद हुआ था. यह 1976 में आई अमेरिकन फिल्म ‘लिपिस्टिक’ का रीमेक थी. बीआर चोपड़ा ने कहानी को भारतीय समाज और संवेदनाओं को ध्यान में रखकर बनाया था. फिल्म ने समाज को सीख भी दी. सवाल भी किए.

इंसाफ की तराजू 1980 की 11वीं सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी. फिल्म की शूटिंग महज दो माह में पूरी हो गई थी. बजट करीब 40 लाख का था लेकिन फिल्म को रिलीज करवाने में बीआर चोपड़ा के पसीने छूट गए थे. फिल्म के रेप सीन बड़े-बड़े पोस्टर के साथ मशहूर लेखक-पत्रकार खुशवंत सिंह ने अपनी पत्रिका में छपवा दिया था. बस यहीं से विवाद शुरू हुआ. सेंसर बोर्ड ने कई सीन पर आपत्ति जताई. फिल्म में पद्मिनी कोल्हापुरे पर 8 मिनट लंबा रेप सीन फिल्माया गया था. बीआर चोपड़ा ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और जीत हासिल की.

राज बब्बर ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था, ‘मैं तब इंडस्ट्री में नया था. 14 फिल्मों में छोटे मोटे रोल कर चुका था. बीआर चोपड़ा ने मुझे मौका दिया. मैं जीनत अमान से मिला. उन्होंने कहा कि मेरा रोल बहुत अच्छा है और मैं इसे करूंगी. रवि चोपड़ा ने मुझे कपड़े दिए थे. जब मेरी मां ने यह फिल्म दिल्ली में एक थिएटर में देखी तो पाया कि थिएटर्स पर लोग मोटी-मोटी गालियां दे रहे हैं. उन्होंने मुझसे कहा था कि ऐसे रोल दोबारा मत करना. मुझे लगा कि मैं अपना रोल बहुत ही ईमानदारी से निभाया है. हालांकि यह सब जीनत अमान की वजह से संभव हुआ. उन्हें चोट भी लगी. मैंने उन्हें बांधा लेकिन उन्हें मैं सैल्यूट करता हूं. उनसे गजब का को-ऑपरेशन मिला था. उन्होंने मेरे काम की बहुत तारीफ की.’

12 अगस्त 1988 को रिलीज हुई ‘खून भरी मांग’ एक एक्शन थ्रिलर फिल्म थी जिसका डायरेक्शन राकेश रोशन ने किया था. यह फिल्म 1983 में आई ऑस्ट्रेलियाई मिनी सीरीज ‘रिटर्न टू ईडन’ का रीमेक थे. फिल्म में हमें रेखा, राकेश रोशन, कबीर बेदी, सोनू वालिया , शत्रुघ्न सिन्हा, टॉम अल्टर, एके हंगल, कादर खान जैसे दिग्गज एक्टर्स नजर आए थे. फिल्म अपने समय से बहुत आगे की थी. रेखा ने अपनी शानदार एक्टिंग से दर्शकों के रोंगटे खड़े कर दिए थे. फिल्म में रेखा ने एक ओर जहां सीधी सादी महिला का रोल निभाया, वहीं अल्ट्रा मॉडर्न महिला का रोल प्ले करके सबको हैरान कर दिया था. फिल्म में कबीर बेदी का विलेन अवतार बेहद चौंकाने वाला रहा था. मगरमच्छा वाला सीन बहुत पॉप्युलर हुआ था.

कबीर बेदी ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें ‘खून भरी मांग’ में रोल कैसे मिला. उन्होंने कहा था, ‘मैं उस वक्त यूएस में काम कर रहा था. शाम का वक्त था. अचानक लैंडलाइन फोन बजा और आवाज आई की मैं राकेश रोशन बोल रहा हूं. मैं एक पिक्चर बना रहा हूं. तुम्हें हीरो लेने की सोच रहा हूं. इस फिल्म में हीरो विलेन बन जाता है. अगर मैं किसी हीरो को यह रोल दूं तो वह करने को तैयार नहीं होगा. किसी विलेन को दूं तो सरप्राइज नहीं रहेगा. तुम्हीं हो जो हीरो भी हो सकते हो और विलेन भी. मैंने कहा कि बहुत अच्छे लेकिन हीरोइन कौन है. उन्होंने कहा रेखा. रेखा का नाम सुनकर मैं बहुत खुश हुआ. मैंने तत्काल फिल्म के लिए हामी भर दी. तो वापस इंडिया आया, फिल्म की. रेखा को मगरमच्छ के मुंह में धकेल दिया और फिर वापस हॉलीवुड चला गया.’

कबीर बेदी ने आगे बताया, ‘यह फिल्म सुपरहिट थी. इसके लिए मुझे लोग बहुत याद करते हैं. उस समय रेखा बॉलीवुड की क्वीन थीं. उमराव जान में उसने फिल्म फेयर का अवॉर्ड जीता था. कई ऐसी फिल्में की थीं जिन्होंने सबको इंप्रेस कर दिया था. बहुत सक्सेसफुल एक्ट्रेस बन गई थीं. पहले मैं राकेश रोशन को एक एक्टर के तौर पर जानता था. ऑफर के समय वो बहुत ही सफल फिल्ममेकर भी बन गए थे. इसलिए मैंने फिल्म के लिए हामी भर दी.’

‘खून भरी मांग’ की कहानी-स्क्रीन प्ले रवि कपूर और मोहनलाल ने लिखा था. डायलॉग कादर खान ने लिखे थे. फिल्म में वकील की भूमिका भी निभाई थी. म्यूजिक राजेश रोशन ने दिया था. फिल्म का एक गाना ‘हंसते-हंसते कट जाएं रस्ते, जिंदगी यूं ही गुजरते रहे…’ बहुत मकबूल हुआ था. फिल्म का बजट 1.2 करोड़ रुपये के आसपास था. करीब 2.3 करोड़ की कमाई की थी. यह एक हिट फिल्म साबित हुई थी लेकिन फिल्म का एक अलग ही क्रेज देखने को मिला था. रेखा की भूमिका को हमेशा के लिए अमर कर दिया. रेखा को बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्म फेयर अवॉर्ड भी मिला था. सोनू वालिया को बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला. ‘खून भरी मांग’ के सफलता बहुत ज्यादा दिनों तक नहीं चली. रेखा का करियर डूबने लगा तो उन्होंने 1990 में मुकेश अग्रवाल से शादी रचा ली. यह शादी भी उनके लिए बदनामी लेकर आई. 2 अक्टूबर 1990 में मुकेश ने दुनिया से नाता तोड़ लिया.

12 नवंबर 1993 को सिनेमाघरों में अब्बास मस्तान की फिल्म ‘बाजीगर’ आई थी. इसमें शाहरुख खान, काजोल और शिल्पा शेट्टी लीड रोल में थे. शाहरुख खान का रोल निगेटिव था. उनका किरदार इस तरह से लिखा गया था कि फिल्म के हाफ तक दर्शकों को इसका पता ही नहीं चल पाता. निगेटिव रोल में भी शाहरुख खान ने महफिल लूट ली थी. फिल्म में विलेन का रोल निभाने वाले एक्टर दिलीप ताहिल ने अपने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि डिस्ट्रीब्यूटर्स ने फिल्म के फ्लॉप होने की भविष्यवाणी कर दी थी लेकिन हुआ इसके उलट. यह फिल्म खूब पसंद की गई. ‘बाजीगर’ 1993 की चौथी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी.

बाजीगर फिल्म शाहरुख खान के करियर के लिए टर्निंग प्वॉइंट साबित हुई. शाहरुख ने साइको किलर के रोल को दर्शकों को खूब पसंद किया. यह रोल अनिल कपूर को ऑफर किया गया लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था. शाहरुख ने स्क्रिप्ट सुनते ही हामी भर दी थी. फिल्म को चार फिल्म फेयर अवॉर्ड मिले थे. इसमें बेस्ट एक्टर, बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर, बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर, बेस्ट स्क्रीनप्ले का अवॉर्ड शामिल था.
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