Kharna 2025: लोकआस्था का महापर्व छठ 2025 की शुरुआत हो चुकी है. 25 अक्टूबर 2025 यानी कि आज नहाए खाए से देशभर में 4 दिनों का महापर्व छठ शुरू हो चुका है.
नहाए खाए के बाद खरना के दिन, जब व्रती महिलाएं विधि विधान से पूजा अनुष्ठान करती हैं. खरना में गुड़ की खीर और रोटी का काफी महत्व होता है.
खरना पर गुड़ की खीर और रोटी का महत्व
36 घंटे के इस कठिन निर्जला उपवास में व्रती महिलाएं खरना की शाम को भगवान को गुड़ की खीर और रोटी का भोग अर्पण करती हैं. इसके बाद घर के अन्य सदस्यों में प्रसाद का वितरण किया जाता है.
आखिर खरना के दिन गुड़ की खीर और रोटी ही क्यों बनाई जाती है? क्या है इसके पीछे का धार्मिक कारण आइए जानते हैं?
खरना प्रसाद बनाने के लिए स्वच्छता का विशेष ध्यान
खरना के मौके पर स्वच्छता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है. इस दिन श्रद्धा भावना के साथ छठी मैया का पकवान तैयार किया जाता है. इस दिन व्रती महिलाएं छठी माता को गुड़ की खीर और रोटी का भोग लगाते हैं.
उत्तर भारत के गांवों और कस्बों में आज भी मिट्टी के चूल्हे पर खरना का प्रसाद (रोटी और गुड़ की खीर को) बनाया जाता है. खरना के इस प्रसाद को रसियाव भी कहते हैं. इस खीर को बनाने के लिए चावल, दूध और गुड़ का इस्तेमाल किया जाता है. जहां चावल और दूध को चंद्रमा का प्रतीक हैं तो वही गुड़ सूर्य का प्रतीक कहा जाता है.
खरना के बाद 36 घंटे का उपवास
इसी कारण खरना के दिन गुड़ की खीर और रोटी को बनाया जाता है. यह प्रसाद छठी मैया को काफी प्रिय भी है. इस दौरान व्रती महिलाएं खरना के प्रसाद को मौन रहकर ग्रहण करती हैं. और इसके बाद महिलाएं छठ के अंतिम दिन ही व्रत का पारण करती हैं.
खरना के दिन भी व्रती महिलाएं पूरे दिन निराहार रहकर शाम के समय पूजा के बाद प्रसाद को ग्रहण करती हैं. गुड़ की खीर और रोटी का सेवन करने से व्रती महिलाओं को 36 घंटे का उपवास रखने की क्षमता प्रदान होती है, क्योंकि गुड़ में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं, जो लंबे समय तक शरीर को ऊर्जावान रखता है.
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