कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी मनाई जाएगी. यह गो पूजन से जुड़ा पर्व है. इस दिन गाय और उसके बछड़े की पूंजी जाती है. मान्यता है कि गाय के शरीर में देवताओं का वास होता है और उसकी पूजा करने से सभी देवताओं की पूजा हो जाती है.

31 अक्टूबर को अक्षय नवमी पर मनाया जाएगा. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है. इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाने और ग्रहण करने की परंपरा है. इस दिन सुख समृद्धि की कामना की जाती है. मान्यता है कि आज ही के दिन त्रेता युग की शुरुआत हुई थी.

01 नवंबर को देवोत्थान एकादशी है. ऐसे मान्यता है कि इस दिन इंद्रदेव चार महीने से निंद्रा के बाद जगते हैं. और इसी दिन से विवाह समेत सभी मांगलिक कार्य शुरू होते है.

भीष्म पंचक का व्रत भी एक नंबर को मनाया जाएगा. कार्तिक मास की शुक्ल एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक के पांच दिनों को भीष्म पंचक के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि इन पांच दिनों में ही मृत्यु सैय्या पर पड़े हुए भीष्म पिता ने पांडवों को राजधर्म का उपदेश दिया था.

हिन्दू धर्म शास्त्र में तुलसी विवाह का महत्व बहुत है. पंचांग के अनुसार 01 नवंबर को ही तुलसी विवाह मनाया जाएगा. कहा जाता है कि जिन दंपत्तियों को कन्या नहीं होती उन्हें जीवन में एक बार तुलसी विवाह का आयोजन कर कन्यादान जरूर देना चाहिए.

एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है तो त्रयोदशी का व्रत भगवान शंकर को समर्पित होता है. तीन नवंबर को सोमवार होने से इस दिन सोम प्रदोष व्रत होगा. मान्यता है कि शिव जी की कृपा प्राप्त करने और पुत्र की प्राप्ति के लिए यह व्रत किया जाता है.
Published at : 28 Oct 2025 07:35 PM (IST)
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