14 अप्रैल को भाजपा ने जब अपना संकल्प पत्र जारी किया था, तो उसमें सैन्य थिएटर कमांड स्थापित करने की योजना का खुलासा किया था। वहीं संकल्प पत्र जारी होने के एक माह पूरे होने से पहले ही एकीकृत थिएटर कमांड (इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड) बनाए जाने को लेकर इंटर सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशंस (कमांड, कंट्रोल और डिसिप्लिन) आईएसओ एक्ट को लेकर मंजूरी दे दी। इस एक्ट के तहत सेना के तीनों अंगों- थलसेना, वायुसेना और नौसेना को मिलाकर एकीकृत थिएटर कमांड बनाए जाएंगे। वहीं सैन्य सूत्रों ने बताया कि सरकार ने थिएटराइजेशन शुरू करने के लिए अगले महीने नई सरकार के शपथ ग्रहण के बाद से एक साल की समय सीमा तय की है। इसके अलावा एकीकृत थिएटर कमांड बनाने के साथ ही सरकार वाइस चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और डिप्टी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की भी नियुक्ति करेगी।
14 अप्रैल को भाजपा ने अपने संकल्प पत्र के पृष्ठ संख्या 38 पर ‘सुरक्षित भारत की मोदी की गारंटी’ नाम से राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक विशेष चैप्टर शामिल किया था। अमर उजाला डॉट कॉम ने सबसे पहले इस पर खबर भी की थी। इसी चैप्टर के तीसरे पॉइंट में भाजपा ने थिएटर कमांड बनाने की बात कही थी। भाजपा ने लिखा था, “हमने बेहतर सैन्य समन्वय के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) का पद स्थापित किया है। हम सेना के कुशल संचालन के लिए सैन्य थिएटर कमांड की स्थापना करेंगे।” यह पहली बार था जब किसी राष्ट्रीय दल ने राष्ट्रीय सुरक्षा को अहमयित देते हुए एकीकृत थिएटर कमांड बनाने की बात कही थी। वहीं सैन्य सूत्रों का कहना है कि सरकार ने थिएटराइजेशन शुरू करने के लिए अगले महीने नई सरकार के शपथ ग्रहण के बाद से एक साल की समय सीमा तय की है। यानी कि अगले साल जून 2025 तक एकीकृत थिएटर कमांड बनाने का काम खत्म हो जाएगा। सैन्य सूत्रों के मुताबिक सरकार थिएटराइजेशन प्रक्रिया शुरू करने को लेकर बहुत स्पष्ट है और उम्मीद है कि तय समय सीमा के भीतर सशस्त्र बल एक संरचना के साथ नजर आएंगे। उनका कहना है कि यह देश में अब तक का सबसे बड़ा सैन्य सुधार होगा।
रिटायर्ड ब्रिगेडियर अनिल गुप्ता इस बात पर बेहद खुशी जताते हैं कि अगले महीने सरकार बनने से पहले ही भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में किए एक बड़े वादे पर काम करना शुरू कर दिया है। वह कहते हैं कि भाजपा में थिएटराइजेशन के सवाल पर कोई दो राय नहीं है। यह देश की सुरक्षा से जुड़ा मामला है। भाजपा इसके लिए वचनबद्ध है। यह देश के लिए बहुत बड़ा बदलाव है, जो बेहद जरूरी था। वह कहते हैं कि अभी तो यह पहला कदम है, जल्द ही ज्वाइंट कमांड का स्ट्रक्चर भी नजर आएगा। रिटायर्ड ब्रिगेडियर अनिल गुप्ता कहते हैं कि अभी तक थल सेना, एयर फोर्स और नेवी का अपना कमांड होता था, लेकिन एकीकृत थिएटर कमांड बनने से सेना के इन तीनों अंगों को एकीकृत किया जाएगा। तीनों सेनाओं के सभी संसाधनों का बेहतरी से इस्तेमाल किया सकेगा, साथ ही इससे आपस में तालमेल भी बढ़ेगा।
नए कार्यकाल को लेकर शुरू हुईं तैयारियां
सूत्रों ने बताया कि मोदी सरकार अपने सामान्य कामकाज के दृष्टिकोण को साथ लेकर चल रही है और नए कार्यकाल के लिए उनकी प्राथमिकताएं पहले से तय हैं। वहीं चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, सर्विस चीफ और संबंधित अधिकारी साथ मिल कर पहले से ही थिएटराइजेशन और अधिक प्रभावी बनाने की योजनाओं पर काम कर रहे हैं। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान सीडीएस ने 09-10 मई परिवर्तन चिंतन 2.0 की अध्यक्षता भी की थी। इस बैठक में 12 उप-समितियों ने थिएटराइजेशन को लेकर चर्चा की और क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए मल्टी डोमेन ऑपरेशंस करने में सक्षम कुशल और प्रभावी बल के निर्माण को लेकर विचार-विमर्श किया गया।
जयपुर और लखनऊ से रखी जाएगी पाकिस्तान पर चीन पर नजर
सैन्य सूत्रों ने बताया कि सरकार को इस साल के अंत तक जॉइंट ट्रेनिंग, एडमिनिस्ट्रेशन और लॉजिस्टिक्स को जोड़ने की प्रक्रिया पूरी कर देगी। हालांकि थिएटराइजेशन की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने में थोड़ा वक्त लग जाएगा। वहीं सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान पर नजर रखने के लिए जयपुर में पश्चिमी थिएटर कमांड का मुख्यालय बनाया जा सकता है, जहां सेना की दक्षिण पश्चिमी कमान स्थित है। जबकि लखनऊ में उत्तरी थिएटर कमांड बनाई जा सकती है, जो चीन से लगी सीमाओं पर नजर रखेगी। वहीं समुद्री खतरों से निपटने के लिए मैरीटाइम थिएटर कमांड का बेस कोयंबटूर में बनाए जाने की संभावना है, साथ ही इसमें भारतीय वायुसेना की प्रयागराज-हैडक्वॉर्टर वाली सेंट्रल कमांड और तिरुवनंतपुरम में मौजूद दक्षिणी वायु कमान शामिल होगी। सरकार की योजना गोवा के नजदीक कर्नाटक के कारवार में समुद्री थिएटर कमांड का मुख्यालय बनाने की भी है, लेकिन सूत्र का कहना है कि इसमें अंतिम फैसला सरकार का होगा। सूत्रों ने बताया कि समुद्री थिएटर कमांड का नेतृत्व किसी नौसेना अधिकारी को दिया जा सकता है, जबकि अन्य दो कमांड में सेना और वायु सेना से बारी-बारी से नियुक्तियां की जाएंगी।
फिलहाल सेना के तीनों अंगों में हैं 17 कमांड
मौजूदा समय में थल सेना और भारतीय वायु सेना के पास सात-सात कमांड हैं, जबकि नौसेना के पास तीन हैं। इसके अलावा, मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ (एचक्यू आईडीएस) के अलावा दो ट्राई-सर्विस कमांड हैं- इनमें अंडमान और निकोबार कमांड और स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड (एसएफसी) शामिल हैं। सरकार की शुरुआत में योजना थी कि सेना के तीनों की अंगों की अलग-अलग कमांड्स को पांच थिएटर और फंक्शनल कमांड में बदला जाए। जैसे जम्मू और कश्मीर, लद्दाख और मध्य क्षेत्र के लिए नॉर्दन लैंड थिएटर, वेस्टर्न लैंड थिएटर (पाकिस्तान केंद्रित), ईस्टर्न लैंड थिएटर, मैरीटाइम थिएटर और एयर डिफेंस कमांड।
वाइस सीडीएस और डिप्टी सीडीएस की नियुक्ति की योजना
सूत्रों ने बताया कि सरकार इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के अलावा वाइस सीडीएस और डिप्टी सीडीएस की नियुक्ति की भी योजना बना रही है। इनमें वाइस सीडीएस जनरल या समकक्ष रैंक का अधिकारी होगा, रणनीतिक योजनाएं, क्षमता विकास और खरीद-फरोख्त से संबंधित मामलों की देखभाल करेगा। वहीं डिप्टी सीडीएस लेफ्टिनेंट जनरल या समकक्ष रैंक का अधिकारी होगा, जो ऑपरेशंस, इंटेलिजेंस और थिएटरों के बीच कॉर्डिनेशन करेगा। यह पूछने पर कि क्या सीडीएस इन दोनों को लीड करेगा? तो सूत्रों ने इससे इंकार तो नहीं किया, लेकिन यह भी कहा कि संभव है कि सरकार चीफ ऑफ द इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ की पोस्ट को बदल कर चेयरमैन चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीआईएससी) में वाइस सीडीएस की पोस्ट बना दे। वर्तमान में, जनरल अनिल चौहान दोनों पदों पर हैं।
आईएसओ एक्ट पिछले साल संसद में हुआ था पारित
सरकारी की तरफ से जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक अगस्त, 2023 में संसद द्वारा आईएसओ एक्ट पारित करने के बाद उसे 15 अगस्त, 2023 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी। सरकार ने गैजेट नोटिफिकेशन जारी करके आईएसओ एक्ट को 10 मई, 2024 से प्रभावी बना दिया है। आईएसओ एक्ट कमांडर-इन-चीफ और ऑफिसर-इन-कमांड को उनकी सर्विस से छेड़छाड़ किए बिना अनुशासन और प्रशासन की प्रभावी देखभाल के लिए अधीन सेवारत सेवा कर्मियों पर नियंत्रण रखने का अधिकार देता है। साथ ही, आईएसओ एक्ट ऑर्म्ड फोर्सेज के प्रमुखों को सशक्त बनाएगा, जिससे मामलों का शीघ्रता से निपटारा होगा। वहीं सशस्त्र बल कर्मियों के बीच सामंजस्य और एकजुटता बढ़ेगी।