ब्रिटेन के किंग चार्ल्स तृतीय
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ब्रिटेन के किंग चार्ल्स तृतीय स्वास्थ्य लाभ के लिए क्वीन कैमिला के साथ तीन दिवसीय भारत दौरे पर आए। फरवरी में कैंसर की सर्जरी के बाद सेहत सुधारने के लिए उन्होंने बंगलूरू के एक स्वास्थ्य केंद्र में योग, ध्यान समेत कई भारतीय चिकित्सा पद्धति अपनाई। वह बंगलूरू में व्हाइटफील्ड के पास समथनहल्ली में अंतरराष्ट्रीय समग्र स्वास्थ्य केंद्र सौक्या में ठहरे थे। बीते साल 6 मई को यूनाइटेड किंगडम के किंग के तौर पर राज्याभिषेक के बाद यह शहर की उनकी पहली यात्रा थी।
बकिंघम पैलेस के प्रवक्ता ने बुधवार को लंदन में कहा कि शाही जोड़े ने समोआ में राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक से ब्रिटेन वापस लौटते वक्त अपने लंबे सफर के बीच भारत में थोड़ा आराम किया। वे आज सुबह (बुधवार) ब्रिटेन लौट रहे हैं। एक अधिकारी के मुताबिक, सौक्या स्वास्थ्य केंद्र में यह शाही जोड़ा 27 अक्तूबर को पहुंचा था और तीन दिनों के लिए रुका था।
कैंसर सर्जरी के बाद भारत पहुंचे किंग
बताते चलें कि 75 साल के किंग चार्ल्स की फरवरी में कैंसर की सर्जरी हुई थी। उनकी सेहत इसके बाद भी नासाज रहती है। किंग ने अपने कीमोथेरेपी सत्रों के बाद अपनी चिकित्सा टीम की सलाह पर यहां आने की योजना बनाई थी। किंग चार्ल्स ने यहां होम्योपैथी, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा से जुड़े कई इलाज करवाये। सौक्या जहां यह शाही जोड़ा ठहरा था वह अपनी ताजगी देने वाली उपचार पद्धतियों के लिए मशहूर है। इस केंद्र में योग, ध्यान सत्र और कई तरह की थेरेपी दी जाती हैं, जो आराम और स्वास्थ्य में सुधार में मदद करती हैं। सौक्या का संचालन डॉ इसाक मथाई करते हैं। मथाई किंग चार्ल्स के राज्याभिषेक में भारत से आमंत्रित अतिथियों में से एक रहे हैं।
शाही जोड़े को भाया दक्षिण भारतीय भोजन
केंद्र में शाही जोड़ा प्रेजिडेंशियल शाही कक्ष में ठहरा था। उन्हें दक्षिण भारतीय भोजन दिया गया। इसमें सलाद और सूप सहित शाकाहारी जैविक भोजन शामिल था। शाही जोड़े के केंद्र में रहने के दौरान सभी सभी सब्जियां, अंडा और नारियल पानी सब कुछ जैविक फॉर्म्स से आता था। उनकी सुबह की दिनचर्या में योग और ध्यान सत्र से शुरू होती थी। नाश्ता लेने के बाद दोनों लंच से पहले थैरेपी सत्र के लिए जाते थे। कुछ देर आराम करने के बाद फिर से उनका थैरेपी सत्र चलता था फिर डिनर और रात में नौ बजे सोने जाने से पहले ध्यान सत्र होता था।
घास पर चले, लगाया जकारांडा का पौधा
अधिकारी के मुताबिक, शाही जोड़े ने 30 एकड़ के स्वास्थ्य सेवा केंद्र के चारों ओर लंबी सैर का लुत्फ भी उठाया। घास पर चले और प्रकृति से जुड़ाव महसूस किया। इसके साथ ही वे जैविक फॉर्म्स, गौशाला और औषधीय उद्यान भी घूमें। उन्होंने परिसर के बीच में एक जगह जकारांडा का पौधा लगाया। इससे पहले भी किंग चार्ल्स 2019 में अपना 71वां जन्मदिन मनाने यहां आ चुके हैं। तब उन्होंने यहां चम्पाका का पौधा लगाया था।
किंग चार्ल्स हैं आयुर्वेद के मुरीद
किंग चार्ल्स वर्षों से आयुर्वेद के मुरीद रहे हैं। किंग बीते 30-40 वर्षों से इससे जुड़े हुए हैं और वे ब्रिटिश एसोसिएशन फॉर होलिस्टिक मेडिसिन एंड हेल्थकेयर के संरक्षक भी रहे। वे होम्योपैथी संकाय के संरक्षक हैं, इसलिए वह इसमें खासी दिलचस्पी रखते है और उन्हें इस पर यकीन भी है। यही वजह है कि 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन यात्रा के दौरान लंदन के विज्ञान संग्रहालय में एक नए आयुर्वेदिक उत्कृष्टता केंद्र शुरू होने पर वह मौजूद थे। इस केंद्र का मकसद योग और आयुर्वेद पर आधारित शोध के लिए अपनी तरह का पहला वैश्विक नेटवर्क बनाना था। एजेंसी