महाकुंभ 2025
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो प्रयागराज में शुरू हुए कल्पवास में एक कल्प का पुण्य मिलता है। शास्त्रों में एक कल्प का मतलब ब्रह्मा का एक दिन बताया गया है। कल्पवास का वर्णन महाभारत और रामचरितमानस में भी है। एक माह तक संगम तट पर चलने वाले कल्पवास में कल्पवासी को जमीन पर सोना पड़ता है। इस दौरान एक समय का आहार या निराहार रहना होता है। तीन समय गंगा स्नान करने की अनिवार्य़ता भी है। महाभारत के अनुसार सौ साल तक बिना अन्न ग्रहण किए तपस्या का जो फल है, वह माघ मास में संगम पर कल्पवास कर पाया जा सकता है।