संगम में डुबकी लगाकर रिक्शे से अपने गुरु के साथ शिविर में लौटते रूस के दिमित्रों।
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सनातन धर्म का डंका सात समंदर पार तक किस तरह बज रहा है, इसका विश्व समुदाय के सामने जीता-जागता उदाहरण महाकुंभ में आए बाल और किशोर संन्यासी प्रस्तुत कर रहे हैं। संगम की रेती पर अमेरिका, रूस और जर्मनी के कई बालकों और किशोरों ने सनातन से प्रभावित होकर अपनी संस्कृति और संस्कार दोनों बदल दिया है। ऐसे किशोर संगम की रेती पर माथे पर तिलक, सिर पर मोटी चोटी और धोती-रामनामी ओढ़कर प्रभु श्रीराम, भगवान शिव और कृष्ण को समझने का प्रयास कर रहे हैं।