फराह के हत्यारों को सुनाई गई फांसी की सजा
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बरेली में दहेज की मांग पूरी नहीं हुई तो पति, सास और ससुर ने विवाहिता की गला काटकर हत्या कर दी। एक साल पुराने मामले में अपर सत्र न्यायाधीश (त्वरित न्यायालय प्रथम) रवि कुमार दिवाकर ने तीनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है। साथ ही 5.10 लाख (प्रत्येक पर 1.70 लाख) रुपये जुर्माना भी लगाया है। न्यायालय ने कुछ अमर प्रेम कहानियों का जिक्र करते हुए कहा कि दोषी का यह कृत्य पति-पत्नी के संबंध पर प्रश्नचिह्न लगाता है। ऐसे दोषियों के लिए मृत्युदंड ही सबसे उचित सजा है।
देवरनिया क्षेत्र के मोहल्ला गौटिया निवासी मुसब्बर अली ने पुलिस को बताया कि उसने बहन फराह की शादी दो वर्ष पूर्व नवाबगंज के गांव जयनगर निवासी मकसद अली से की थी। शादी के बाद से फराह को उसके पति मकसद अली, जेठ तौफीक अली, सास मसीतन व ससुर साबिर अली दहेज के लिए प्रताड़ित करते थे। एक मई 2024 को मकसद ने परिजनों के साथ मिलकर फराह की गला काटकर हत्या कर दी।
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जनपद न्यायालय,बरेली
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पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। 19 अक्तूबर 2024 को आरोपपत्र दाखिल किया गया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पाया गया कि आरोपियों ने बांके से गले को काटकर धड़ से अलग कर दिया था। अभियोजन की ओर से न्यायालय में आठ गवाह और आठ साक्ष्य पेश किए गए। न्यायालय ने तीनों आरोपियों को दोषी पाते हुए सजा सुनाई।
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अपर सत्र न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर
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आदम-हव्वा की सुनाई कहानी
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि खुदा ने बाबा आदम के अकेलेपन को दूर करने के लिए हव्वा को उत्पन्न किया था। हव्वा ने खुदा की बात नहीं मानी, तो दोनों को स्वर्ग से निकाल दिया गया था। दोनों ने पृथ्वी पर तमाम कष्ट झेले लेकिन बाबा आदम ने हव्वा को कुछ नहीं कहा। अदालत ने लैला-मजनू, शीरी-फरहाद की कहानियों का भी जिक्र किया और कहा कि यहां तो एक पति ने ही दहेज के लालच में अपनी पत्नी को मार डाला।
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दोषी मकसद अली, मसीतन व साबिर अली
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आदम-हव्वा व लैला-मजनू के आचरण के विपरीत है दोषी का कृत्य
विवाहिता की गला काटकर हत्या के दोषियों को सजा सुनाते वक्त अदालत ने कुछ अमर प्रेम कथाओं का हवाला दिया। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि बाबा आदम या हजरत आदम को इस्लाम और ईसाई धर्म में मानव जाति का आदि पुरुष अर्थात प्रथम मानव माना जाता है। खुदा ने बाबा आदम के अकेलेपन को दूर करने के लिए हव्वा को उत्पन्न किया था। हव्वा ने खुदा की बात नहीं मानी तो दोनों को स्वर्ग से निकाल दिया गया था।
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मृतका फरह
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इसके बाद दोनों को पृथ्वी पर कष्ट झेलने पड़े, लेकिन बाबा आदम ने हव्वा को कुछ नहीं कहा। वह हव्वा से बहुत प्यार करते थे। ऐसी थी आदि पुरुष और आदि माता की प्रेम कहानी। अदालत ने लैला-मजनू, शीरी-फरहाद की कहानियों का भी जिक्र किया। कहा कि दोषी मकसद अली ने बाबा आदम के आचरण के विपरीत जाकर अपनी ही पत्नी की दहेज के लालच में हत्या की है।