एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि आमतौर पर देसी मांझे में कांच के बुरादे का इस्तेमाल किया जाता है। मांझा बनाने के लिए विस्फोटक का इस्तेमाल किए जाने की जानकारी से इन्कार किया। फॉरेंसिक एक्सपर्ट की जांच में गंधक, पोटाश, कांच और लोहे के बुरादे मिले तो इस खेल का खुलासा हुआ।
मांझे की अवैध फैक्टरी में धमाका, मालिक और दो कारीगरों के चीथड़े उड़े
बरेली के किला थाना क्षेत्र के मोहल्ला बाकरगंज में शुक्रवार सुबह मांझा बनाने की अवैध फैक्टरी में धमाका हो गया। इससे फैक्टरी मालिक और दो कारीगरों के चीथड़े उड़ गए। पतंगबाजी के लिए मजबूत मांझा बनाने के लिए गंधक, पोटाश, कांच और लोहे के बुरादे का मिश्रण तैयार करने के दौरान यह हादसा हुआ। स्थानीय लोगों के मुताबिक, धमाके की गूंज तीन किलोमीटर दूर तक सुनी गई। फॉरेंसिक टीम ने मौके से नमूने लेकर जांच के लिए भेजे हैं। रिपोर्ट आने के बाद धमाके का राज सामने आएगा।
बाकरगंज निवासी अतीक रजा खां (51) मांझा बनाने की अवैध फैक्टरी चलाते थे। मोहल्ले के ही फैजान (26) और सरताज (24) उनकी फैक्टरी में कारीगर थे। अतीक ने अपने घर से सटे स्थित भूखंड पर मांझा बनाने का अड्डा बना रखा था। शुक्रवार सुबह 10 बजे अतीक, फैजान और सरताज मांझा बनाने के लिए मसाला तैयार कर रहे थे। इसके लिए गंधक, पोटाश के साथ कांच और लोहे के बारीक बुरादे को मिलाकर लुगदी तैयार की जानी थी। बताते हैं कि इन घातक पदार्थों का मिश्रण तैयार करने के दौरान ही धमाका हो गया।