Premanand Ji Maharaj Anmol Vachan: प्रेमानंद जी महाराज एक महान संत और विचारक हैं जो जीवन का सच्चा अर्थ समझाते और बताते हैं. प्रेमानंद जी के अनमोल विचार जीवन को सुधारने और संतुलन बनाएं रखने में मार्गदर्शन करते हैं.
प्रेमानंद जी महाराज से जानते हैं कि कठिन परिस्थितियों में नाम जाप से मन प्रसन्न होता है, साथ ही जानते हैं कि सोच, भावना, कर्मों में क्या अंतर है.
सबसे पहले हमारी बुद्धि शुद्ध होनी चाहिए. विचार और भावना बुद्धि से आते हैं. क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए यह निर्णय बुद्धि करती है. इसलिए आपका निर्णय बहुत अहम होता है. हमारे अंताकरण में 4 है. मन, बुद्धि, चित और अहंकार.
चित उस विषय का चिंतन करता है, करना है कि नहीं करना है.
निर्णय बुद्धि देती है.
यह मन बताता है कि किसी काम को करना ही है या नहीं करना है.
मैं करता हूं अहंकार, इस कार्य को अहंकार कहते हैं.
सबसे पहले हमको पहले बुद्धि शु्द्ध करनी है. अगर बुद्धि भगवान के भजन में लगी है तो हमारे विचार निर्णय करनी वाली बुद्धि होगी. विचार सुंदर होंगे. भाव अच्छे होंगे. कर्म बुरे नहीं होंगे, सतकर्म होंगे. विधि पूर्णक कर्म होंगे, पूर्ण कर्म होंगे, भागवत बुद्धि होगी.
पहले बुद्धि सुधारनी है, यदि हमारी बुद्धि शास्त्र के अनुसार चलती है तो हमारी बुद्धि सुधरी हुई है. यदि शास्त्र के प्रतिकूल चलती है तो बिगड़ी हुई है.
इस कार्य को सबले पहले अपनी लिस्ट में शामिल करें और बुद्धि को सुधारें. जिस बुद्धि को मन ने अपने अधिकार में कर लिया वो बिगड़ी हुई बुद्धि है, जिस बुद्धि को मन ने अपने अधिकार में लिया वो सुधरी हुई है. तो कोशिश करें और आप अपने कर्मों को अच्छा करें, अन्यथा पाप कर्म होंगे.
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