{“_id”:”67b4f05ac93004862101b949″,”slug”:”culture-ministry-informed-asi-team-started-underwater-explorations-at-dwarka-coast-gujarat-2025-02-19″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”Gujarat: एएसआई ने द्वारका के तट पर पानी के नीचे शुरू की खोज, पांच सदस्यीय टीम में महिला पुरातत्वविद् भी शामिल”,”category”:{“title”:”India News”,”title_hn”:”देश”,”slug”:”india-news”}}
संस्कृति मंत्रालय – फोटो : फेसबुक
विस्तार
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएआई) की पांच सदस्यीय टीम ने गुजरात के द्वारका के तट पर पानी के भीतर महत्वपूर्ण खोज शुरू की है। संस्कृति मंत्रालय ने इसके बारे में मंगलवार को जानकारी दी और बताया कि टीम में महिला सदस्य भी शामिल हैं।
Trending Videos
संस्कृति मंत्रालय के बयान के अनुसार, यह खोज पानी के भीतर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए एएसआई के प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मंत्रालय ने बताया कि यह खोज एएसआई की विंग (यूएडब्ल्यू) द्वारा की जा रही है, जिसे हाल ही में पुनर्जीवित किया गया है। यह विंग द्वारका और बेट द्वारका के किनारे खोज और जांच कर रही है।
पांच सदस्यीय टीम का नेतृत्व कर रहे आलोक त्रिपाठी
मंत्रालय ने बताया कि एएसआई के पांच पुरातत्वविदों की टीम का नेतृत्व अतिरिक्त महानिदेशक (पुरातत्व) प्रोफेसर आलोक त्रिपाठी द्वारा किया जा रहा है। इस टीम ने द्वारका के तट पर पानी के भीतर खोज शुरू कर दी है। टीम में उत्खनन एवं अन्वेषण निदेशक एचके नायक, सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद् अपराजिता शर्मा, पूनम विंद और राजकुमारी बारबीना भी शामिल हैं। टीम ने प्रारंभिक जांच के लिए गोमती क्रीक के पास एक क्षेत्र का चयन किया है।
पानी के नीचे जांच में भाग लेने वालों में भी सबसे अधिक महिलाएं
मत्रालय के बयान के अनुसार, एएसआई की टीम में पहली बार, बड़ी संख्या में महिला पुरातत्वविद् शामिल हैं। इसके साथ ही पानी के नीचे जांच में सक्रिय रूप से भाग लेने वालों में भी सबसे ज्यादा संख्या महिला पुरातत्वविदों की है।
जानें क्या है एएसआई की यूएडब्ल्यू विंग
बता दें कि यूएडब्ल्यू 1980 के दशक से पानी के भीतर पुरातत्व अनुसंधान में सक्रिय रहा है। मंत्रालय के अनुसार, 2001 से, इस विंग ने विभिन्न स्थलों जैसे बंगाराम द्वीप (लक्षद्वीप), महाबलीपुरम (तमिलनाडु), द्वारका (गुजरात), लोकतक झील (मणिपुर) और एलीफेंटा द्वीप (महाराष्ट्र) में खोज की है।
यूएडब्ल्यू के पुरातत्वविदों ने सांस्कृतिक विरासत के अध्ययन और संरक्षण के लिए भारतीय नौसेना और अन्य सरकारी संस्थानों के साथ सहयोग किया है। इससे पहले, इस विंग ने 2005 से 2007 के बीच द्वारका में अपतटीय और तटीय खुदाई की थी, जिसमें मूर्तियां और पत्थर के लंगर मिले थे।