बरेली में भगवान शिव के सात नाथ मंदिर आस्था के प्रमुख केंद्र हैं। इन शिव मंदिरों के नाम हैं त्रिवटीनाथ मंदिर, वनखंडीनाथ मंदिर, अलखनाथ मंदिर, तपेश्वरनाथ मंदिर, मढ़ीनाथ मंदिर, धोपेश्वर नाथ मंदिर और पशुपतिनाथ मंदिर। ये सातों शिवालय शहर को नाथ नगरी की पहचान भी देते हैं। मान्यता है कि यहां पहुंचने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। इसके अलावा गुलड़िया स्थित गौरीशंकर और पचौमी स्थित पंचेश्वर शिव मंदिर भी प्राचीन शिवालय हैं। इन मंदिरों की स्थापना के पीछे भी कई रोचक पहलू हैं। महाशिवरात्रि के अवसर पर हम इन सातों नाथ मंदिरों के महात्म्य को बता रहे हैं।
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बाबा त्रिवटीनाथ मंदिर
– फोटो : अमर उजाला
त्रिवटीनाथ मंदिर- शहर के उत्तर दिशा में स्थित इस मंदिर की स्थापना 1474 में हुई थी। बताया जाता है कि उस वक्त यहां वन क्षेत्र था। एक चरवाहा तीन वट वृक्षों के नीचे विश्राम कर रहा था। उसके स्वप्न में भगवान भोलेनाथ आए और उस स्थान की खोदाई करने के लिए कहा। वहां खोदाई की तो शिवलिंग प्रकट हुए। तीन वटों के नीचे शिवलिंग मिलने से इस मंदिर का नाम त्रिवटीनाथ पड़ गया।
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वनखंडीनाथ मंदिर
– फोटो : अमर उजाला
वनखंडीनाथ मंदिर – ऐसी मान्यता है कि द्रौपदी ने पूर्व दिशा में अपने गुरु के आदेश पर शिवलिंग स्थापित कर कठोर तप किया था। उस समय जोगीनवादा क्षेत्र में घना जंगल होता था। इस कारण मंदिर का नाम वनखंडीनाथ पड़ गया। ऐसा कहा जाता है कि यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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बाबा अलखनाथ मंदिर
– फोटो : अमर उजाला
अलखनाथ मंदिर : आनंद अखाड़ा के अलखिया बाबा ने इस स्थान पर कठोर तप किया। शिवभक्तों के लिए अलख जगाई। उन्हीं के नाम से जोड़कर इस मंदिर का नाम अलखनाथ पड़ा। मंदिर में सुबह से ही भक्तों की लाइन लग जाएगी। तीन बजे से मंदिर में जलाभिषेक की शुरुआत होगी। ऐसे में तमाम साधु-संतों और अन्य लोगों ने बाबा की इस तपस्थली में शरण ली।
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बाबा तपेश्वरनाथ मंदिर
– फोटो : अमर उजाला
तपेश्वरनाथ मंदिर : शहर के दक्षिण दिशा में स्थित यह मंदिर ऋषियों की तपोस्थली रहा। उन्होंने कठोर तप कर इस देवालय को सिद्ध किया। इसलिए इसका नाम तपेश्वरनाथ मंदिर पड़ा। सुभाषनगर में स्थित मंदिर में शिवालय के अलावा तमाम देवी देवताओं की मूर्ति स्थापित है। यहां पर महाशिवरात्रि और सावन में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।