शुक्रवार को तड़के करीब पांच बजे रामदयाल भैंस को कुल्हाड़ी से मारने लगा। दादा कुबेर (72) ने उसे रोकने की कोशिश की तो उन पर कुल्हाड़ी और फावड़े से हमला कर दिया। बीच बचाव करने आई दादी द्रौपदी देवी (70) और कुबेर के बड़े भाई साधू (75) पर भी कुल्हाड़ी लेकर टूट पड़ा। दादी के सिर और जबड़े के टुकड़े हो गए।
रामदयाल की सनक देखकर मां कुसमावती जान बचाने के लिए भाग गईं। रामदयाल के हमले से लहूलुहान होकर कुबेर, द्रौपदी और साधू जमीन पर गिरकर तड़पते रहे। तीनों बुजुर्गों की मौत होने तक आरोपी उनके पास बैठा रहा। कुल्हाड़ी लिए बैठे रामदयाल का सनकी रूप देखकर कोई ग्रामीण या पड़ोसी बुजुर्गों की मदद के लिए आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं जुटा सका।
वारदात की सूचना पर एसपी उत्तरी जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव गांव में पहुंचे और ग्रामीणों से पूछताछ कर छानबीन की। वहीं फारेंसिक टीम ने भी साक्ष्य एकत्रित किए।
दो दिन पहले पुलिस से छुड़ाया था दादा-दादी ने
रामदयाल पिछले एक सप्ताह से उग्र था। उसका एक्सीडेंट हुआ था, जिसके बाद से अजीब हरकतें कर रहा था। ग्रामीणों का कहना था कि काश कुबेर और उनकी पत्नी ने दो दिन पहले पोते रामदयाल को पुलिस से नहीं बचाया होता तो वह जिंदा होते। बताया कि रामदयाल ने दो दिन पहले गांव के रहने वाले सुरेश यादव के बेटे नीरज को लाठी से मार दिया था। इसके बाद राजेंद्र मौर्य को हंसिए से मारा था।