व्यूनाउ कंपनी ने डाटा सेंटर के नाम पर निवेशकों से वसूली गई रकम को सर्कुलर ट्रेडिंग के जरिये शेयर बाजार में खपाया। सिंडीकेट बनाकर शेयरों की खरीद फरोख्त कर 1.96 रुपये का शेयर 196 रुपये तक पहुंचा दिया। बता दें कि मास्टरमाइंड सुखविंदर सिंह की व्यूनाउ में 23 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी थी। वह दिसंबर से पहले शेयरों को करीब 20 गुना ऊंची कीमत पर बेचकर बाहर निकल गया।
नई कंपनी को सूचीबद्ध कराने के लिए जटिल औपचारिकताएं होती हैं। इनसे बचने के लिए व्यूनाउ ने छोटी सी कंपनी गुड वैल्यू इरीगेशन के प्रमोटर्स के साथ मिलकर अपनी कंपनी के दस्तावेज लगाए। फिर उसका नाम बदल कर व्यूनाउ इंफ्रा कर दिया। जिस समय व्यूनाउ के एमडी सुखविंदर ने गुड वैल्यू इरीगेशन में मालिकाना अंशधारिता हासिल की थी, तब कंपनी का शेयर 4 रुपये का था। गुड वैल्यू इरीगेशन कंपनी प्लास्टिक उत्पादों के व्यवसाय से जुड़ी थी। मार्च 2023 में इसे व्यूनाउ इंफ्रा नाम देने के बाद शेयर 1.96 रुपये से शुरु हुआ। फिर पंप एंड डंप के तहत कंपनी के शेयर का भाव 200 रुपये तक पहुंचा दिए। आज व्यूनाउ इंफ्रा के 1.50 लाख शेयर के बिकवाली पर खड़े हैं, लेकिन कोई खरीदार नहीं है।
निवेशकों को दूसरी बार ठगा
सुखविंदर और उसकी टीम ने शेयर्स के जरिये ज्यादा से ज्यादा रकम बटोरने के लिए डाटा सेंटर के निवेशकों को भी नहीं छोड़ा। कंपनी ने निवेशकों को 75 रुपये के हिसाब से शेयर देने की पेशकश की। हजारों लोग जाल में फंस गए और कौड़ियों के भाव वाले शेयर सैकड़ों रुपये में बेचकर उन्हें दूसरी बार ठगा गया।
सिर्फ 500 शेयर ही खरीदे-बेचे
कंपनी का 1.96 रुपये वाला शेयर 196 रुपये पर पहुंच गया, लेकिन खरीद-फरोख्त 500 शेयरों से ज्यादा हुई ही नहीं। साफ है कि आपस में ही शेयरों को खरीद-बेचकर कीमतों को फर्जी तरीके से बढ़ाया गया। कंपनी ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के छापों के बाद भी निवेशकों को गुमराह करना जारी रखा।
दाम में फर्जी उछाल से कमाई
कंपनी के प्रमोटरों ने निवेशकों को नैस्डैक में कंपनी सूचीबद्ध कराने का सपना दिखाया। आर्थिक अपराध विशेषज्ञ देवेंद्र डंग के मुताबिक, स्टॉक की कीमत जालसाजी से बढ़ाने और बेचकर पैसे कमाने की अवैध योजना ही पंप एंड डंप है। धोखेबाज इसमें भ्रामक योजना का प्रचार करते हैं।
कदम कदम पर झोंकी धूल
ईडी जांच में पता चला कि कंपनी की क्षमता 2701 टेराबाइट (टीबी) या क्लाउड पार्टिकल की थी। जांच में मिले दो तरह के डाटा में से एक में 1.29 लाख से ज्यादा टीबी का रिकॉर्ड मिला। डंग के मुताबिक, बैंक खातों के रिकॉर्ड से पता चला कि कंपनी ने 5.42 लाख टीबी बेच दिया। इस आधार पर माना गया कि कंपनी अपने मॉडल के जरिये निवेशकों को ठग रही थी।