Varuthini Ekadashi 2025: वैशाख माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है. इस साल वरुथिनी एकादशी का व्रत-पूजन गुरुवार 24 अप्रैल 2025 को किया जाएगा.
गुरुवार और वरुथिनी एकादशी का संयोग
वैसे तो हर महीने दो बार एकादशी पड़ती है. लेकिन गुरुवार के दिन एकादशी तिथि पड़ना बहुत ही शुभ माना जाता है. इसका कारण यह है कि एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और गुरुवार का दिन भी भगवान विष्णु की पूजा के लिए शुभ माना जाता है. भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए गुरुवार और एकादशी व्रत अत्यंत फलदायी होता है. ऐसे में गुरुवार के दिन ही वरुथिनी एकादशी पड़ना बहुत ही शुभ संयोग माना जाता है.
धार्मिक महत्व
- ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि, गुरुवार के दिन जब एकादशी पड़ती है तो इसका शुभ फल भी कई गुणा बढ़ जाता है.
- गुरुवार और एकादशी एक ही पड़ने से इसका आध्यात्मिक महत्व भी अधिक हो जाता है और व्रत-पूजन से भगवान विष्णु की दोगुनी कृपा प्राप्त होती है.
- गुरुवार का दिन देव गुरु बृहस्पति को भी समर्पित होता है, जोकि ज्ञान, धर्म और आध्यात्मिक उन्नति के कारक माने जाते हैं.
- एकादशी और गुरुवार के सुंदर संयोग में दान देने, व्रत रखने, मंत्र जाप करने, पूजा करने से जन्म-जन्मांतर के पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं और सुख-समृद्धि में वृद्धि होता है.
- जिन लोगों की कुंडली में गुरु दोष होता है, उन्हें गुरुवार और एकादशी के संयोग मे पूजा-पाठ जरूर करनी चाहिए और पीली वस्तुओं जैसे-चने की दाल, आम, हल्दी, सोना, केला आदि का दान करना चाहिए. इससे भाग्योदय होता है.
वरुथिनी एकादशी पूजा विधि
24 अप्रैल को वरुथिनी एकादशी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पीले रंग का वस्त्र पहन लें. इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करें. भगवान विष्णु की पूजा के लिए चौकी तैयार करें. चौकी के ऊपर कपड़ा बिछाकर भगवान की मूर्ति या तस्वीर रखें. भगवान को पीले चंदन का टीका लगाकर, फल, फूल, भोग, धूप-दीप, तुलसी पत्ता, नैवेद्य आदि अर्पित करें और फिर वरुथिनी एकादशी की व्रत कथा पढ़ें. इसके बाद आरती करें. इस दिन व्रत रखें और अगले दिन 25 अप्रैल को एकादशी व्रत का पारण (Varuthini Ekadashi 2025 Vrat Paran) करें.
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