प्रयागराज में गंगा और यमुना ने शनिवार को चेतावनी बिंदु (84.73 मीटर) को पार कर रौद्र रूप धारण कर लिया है। देर शाम फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 85.06 और नैनी में यमुना का जलस्तर 85.14 मीटर रिकॉर्ड किया गया। इससे प्रयागराज के कछारी क्षेत्र में बसे 61 से अधिक मोहल्लों व गांवों की 50 हजार से अधिक आबादी बाढ़ की चपेट में आ गई है।
प्रशासन की ओर से खोले गए 12 राहत शिविरों में करीब चार हजार बाढ़ प्रभावितों ने शरण ली है। चिंता की बात यह है जानकारों की ओर से अभी गंगा-यमुना का जलस्तर और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
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प्रयागराज में बाढ़।
– फोटो : अमर उजाला।
गंगा और यमुना में बाढ़ का सबसे अधिक कहर वर्ष 1978 में में देखा गया था जिसमें गंगा और यमुना 88 मीटर के करीब पहुंच गई थीं। इसके बाद वर्ष 2013 में एक बार फिर दोनों नदियों ने विकराल रूप धारण किया। हालांकि, तब अधिकतम जलस्तर 87 मीटर के करीब पहुंचा था। अब एक बार फिर गंगा-यमुना का बढ़ता जलस्तर शहरवासियों को डराने लगा है।
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प्रयागराज में बाढ़।
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27 गांवों के हजारों लोगों को नावों का सहारा
पिछले दो दिनों में तेजी से दोनों नदियों के जलस्तर में वृद्धि दर्ज की गई है। इससे करीब एक हजार परिवारों को अपना आशियाना छोड़कर राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है। इसके अलावा 27 गांवों के हजारों लोग नावों के सहारे आवागमन को मजबूर हैं।
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प्रयागराज में बाढ़।
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प्रशासन की ओर से इसके लिए 125 से अधिक नावों की व्यवस्था की गई है जो नाकाफी साबित हो रही हैं। यही नहीं, बाढ़ के कारण दो दर्जन से अधिक स्कूलों में पठन-पाठन ठप हो गया है। इसमें एक दर्जन सरकारी स्कूल शामिल हैं, जहां प्रशासन की ओर से से राहत शिविर बनाए गए हैं। इसके अलावा कई अन्य सरकारी और निजी स्कूल भी बाढ़ की चपेट में हैं।
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गंगा-यमुना खतरे के निशान से पार सांसत में है बड़ी आबादी की जान
प्रयागराज में बाढ़ के बीच मम्फोर्डगंज स्लूज गेट में रिसाव की जानकारी मिलने के बाद हड़कंप मच गया। सूचना मिलने पर देर रात सिंचाई विभाग, छह लेन पुल बनाने वाली एजेंसी के अफसरों के अलावा विधायक हर्षवर्धन बाजपेई भी मौके पर पहुंच गए। अधिकारियों का कहना है कि किसी तरह के खतरे की बात नहीं है। हालांकि एहतियातन बालू से भरी बोरियां डालने का काम देर रात तक जारी रहा।