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मीना कुमारी की फिल्म ‘पाकीजा’ में गाना ‘चलो चांद के पार चलो’ में असल में पद्मा खन्ना ने काम किया था, क्योंकि मीना कुमारी की तबीयत खराब थी. फिल्म को बनाने में 15 साल लगे थे.
हाइलाइट्स
- मीना कुमारी की जगह पद्मा खन्ना ने पाकीजा में काम किया.
- मीना कुमारी की तबीयत खराब होने के कारण पद्मा खन्ना ने गाने में काम किया.
- पाकीजा के गाने ‘चलो चांद के पार’ में पद्मा खन्ना ने मीना कुमारी की जगह ली.
हिंदी सिनेमा में मीना कुमारी ने जो जगह हासिल की है, वो शायद ही दोबारा कोई बना पाया है. जरा सी उम्र में उन्होंने अपनी सादगी और टेलेंट से सबको दीवाना बना लिया था. मगर उनकी एक फिल्म का किस्सा कुछ ऐसा है, जिसे दशकों बाद भी लोग पकड़ नहीं पाए हैं. मेकर्स ने भी मीना कुमारी के नाम पर सुपरहिट फिल्म में सुपरहिट गाने के साथ ऐसा गच्चा दिया कि दर्शक उस झोल को समझ ही नहीं पाए.
मीना कुमारी की सुपरहिट पाकीजा
जी हां, हम बात कर रहे हैं पाकीजा के सुपरहिट गाने ‘चलो दिलदार चलो’ में मेकर्स जिस महिला को दिखाया है, वो एक्ट्रेस मीना कुमारी नहीं हैं. पूरे गाने में आपको एक भी क्लोज शॉट नहीं देखने को मिलेगा. बल्कि ज्यादातर सीन मीना कुमारी की कमर दिखाकर ही मेकर्स ने काम चलाया था. अब आप सोच रहे होंगे कि भला मेकर्स ने ऐसा क्यों किया तो चलिए पूरी बात बताते हैं.
हुआ ये था कि पाकीजा को बनने में करीब 15 साल का वक्त लगा. इतने साल कि अंत तक आते आते मीना कुमारी की हालत बिगड़ने लगी थी. उनका नूर सा चेहरा भी ढलने लगा था. ऐसे में क्लोज शॉट में वो बात नहीं आ रही थी. जब ‘चलो दिलदार चलो’ गाना शूट हुआ तब मीना कुमारी की तबीयत ठीक नहीं थी. ऐसे में मेकर्स ने दूसरी एक्ट्रेस के जरिए इस गाने को पूरा किया. जैसा कि आप अक्सर फिल्मों में देखते हैं कि कई सीन्स में बॉडी डबल की मदद ली जाती है. ये भी ठीक वैसे ही था.
आखिर किस एक्ट्रेस को बनाया गया था मीना कुमारी
मीना कुमारी के लिए मेकर्स ने जिस एक्ट्रेस को चुना वो थीं पद्मा खन्ना, जिन्होंने बॉलीवुड में खूब काम किया. वह सौदागर, जॉनी मेरा नाम, सुल्ताना डाकू से लेकर नाग चंपा में दिखी थीं. पद्मा ही ‘चलो चांद के पार’ गाने में दिख रही हैं. पूरे गाने में वह मीना कुमारी के तौर पर काम करती हैं. मेकर्स ने ये छिपाने के लिए ज्यादातर बैक के सीन का ही इस्तेमाल किया.
क्या हुआ था मीना कुमारी को
मीना कुमारी ने 38 साल की उम्र में ही इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. उन्हें लिवर सिरोसिस नाम की बीमारी थी. इस चलते उन्होंने 31 मार्च 1972 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

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