एक दर्शक ने आईएएनएस से कहा, ‘मैं फिल्म देखने के बाद काफी निराश हूं. फिल्म की कहानी बिना सिर-पैर की है. सिद्धांत और तृप्ति की केमिस्ट्री ठीक लगी. केमिस्ट्री हीरो-हिरोइन वाली है. म्यूजिक भी सही है, पर ये मंत्रमुग्ध कर देने वाला और आकर्षक नहीं है. फिर भी ये ठीक है. धड़क-1 अच्छी फिल्म थी. धड़क-2 की तुलना उससे नहीं की जा सकती है. इसकी सबसे बड़ी कमी ये है कि इसमें वही घिसा-पिटा जातिवाद दिखाया गया है. सब बराबर हैं, लेकिन वो जो कहना चाहते हैं, वो समझ से परे है.’
एक अन्य दर्शक ने कहा, ‘मूवी बहुत ही खराब है, एक उबाऊ फिल्म जिसे खूब खींचा गया है. डायलॉग बहुत ही कमजोर हैं, कास्टिंग सही नहीं है, गाने आकर्षक नहीं हैं, कहानी कोई छाप नहीं छोड़ती है और यहां तक कि अंत भी निराशाजनक है. सब कुछ बेकार है. लीड एक्टर की बात करें तो सिद्धांत चतुर्वेदी और तृप्ति डिमरी की जोड़ी बड़ी बहन और छोटे भाई जैसी लगती है. दोनों के बीच कोई केमिस्ट्री नहीं है. सिद्धांत गोरे रंग के हैं और उन्हें देख ऐसा लगता है कि इस मूवी में उन पर लीपापोती की गई है. उन्हें कैसे एक झोपड़पट्टी वाले लड़के के रूप में लिया जा सकता है, मुझे समझ नहीं आ रहा. ऐसे कास्टिंग के निर्णय कैसे लिए जा रहे हैं?’
लोग हुए निराश
कुछ लोगों को लीड पेयर के बीच केमिस्ट्री की कमी दिखी. पूरी फिल्म एक रॉ कट ज्यादा लगती है, जिसकी एडिटिंग और डबिंग बाकी है. ये बहुत ही निराशाजनक है; इसका म्यूजिक भी यादगार नहीं है. ऐसा कोई भी गाना नहीं है जो थिएटर से निकलने के बाद मुझे याद रहा. म्यूजिक से लेकर कहानी तक में ये धड़क-1 के आगे कहीं नहीं टिकती है. एक और दर्शक, जिसने इसका तमिल वर्जन परियेरुम पेरुमल देखा था, उसने कहा, ‘मैंने ओरिजिनल फिल्म 2-3 बार देखी है. मारी सेल्वराज जो इसके डायरेक्टर हैं, वे जीनियस हैं. उन्होंने इस मूवी में अपना सारा अनुभव डाल दिया है. मुझे समझ नहीं आ रहा कि उन्होंने इतनी पावरफुल स्टोरी को हिंदी में क्यों बर्बाद कर दिया. तमिल वर्जन का क्लाइमैक्स कोई भुला नहीं सकता, लेकिन इसे यहां बर्बाद कर दिया गया है.’
एक्टिंग को सराहा
एक और सिनेप्रेमी ने अपना रिएक्शन दिया, ‘शुरुआत अच्छी है, लेकिन बाद में ये भारी हो जाती है. इसका विषय सही है, सिद्धांत ने अपने किरदार से न्याय किया है, लेकिन फिल्म क्या संदेश देना चाहती है ये बताने से चूक जाती है.’ एक अन्य ने कहा कि डायरेक्टर बदलने से दिक्कत हुई. उसने कहा, “मैंने इसे इंजॉय ही नहीं किया. शशांक खैतान ने पहली फिल्म डायरेक्ट की थी और इसे शाजिया इकबाल ने. इस बार निर्देशन बहुत ही कमजोर है.’ वहीं कुछ लोगों ने फिल्म और कलाकारों की एक्टिंग को भी सराहा, मगर कुल मिलाकर शुरुआती दर्शकों के रिव्यू बताते हैं कि ‘धड़क-2’ दर्शकों को आकर्षित करने में फेल हुई है.